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Showing posts from 2018

चंडीगढ का चाव

चंडीगढ़ का चाव बहुत दोस्तों की चाह बहुत सुनहरी निमंत्रण बहुत यह शहर खूबसूरत बहुत यहां हसीनाएं बेमिशाल जो भांगड़े पर देवें ताल संस्कृतियों का यहां है फ्यूजन देख के ड्रिंक्स पांऊ कन्फ्यूजन कैसे आऊं आपके देश कुछ ईमान डिगने का डर कुछ ड्रिन्कस में भीगने का डर कुछ ड्रीम्स में खोने का डर जो तुम इनसे सुरक्षा की गारंटी दो तो हो सकता है नए वर्ष पर मिलन हो।।

शिमला: स्नो और स्वाभाविकता

श्यामला देवी के नाम से वायस-रीगल -लौज के वैभव से पर्वत चोटियों की चिकनी ढलान से स्कीयरों के उत्साह से जो आमंत्रित करता है उल्लास से उस शहर से हमारी शान है। जाखू मंदिर के इतिहास से ब्रिटिश- गोरखाओं के संग्राम से जो भरा है अद्भुत अतीत गाथाओं से जो निहारता है ढाई हजार मीटर की हिमशिखा से उस शहर से हमारी शान है।। जो जुड़ा है मीटर गेज से वह लाइन करती अठखेलियां सुरंगों से जो अछूता है वैश्वीकरण और वाणिज्यकरण से जिसमें आकर्षण बरकरार है पुरानी दुनिया का उसी शहर से हमारी शान है। जहां की हिमाचली टोपी पहचान है खच्चर यात्रा जहां मशहूर है लोगों के चेहरे जहां गुलाबी हैं व्यवहार में सरलता और निश्छलता है निराश्रित को आश्रय देना जिस की शान है हिम के फाहे जिसे सजाते हैं इस शहर को स्वच्छ, स्वस्थ, शिक्षित बनाना हमारा काम है क्योंकि इस शहर से हमारी शान है।।

जिसने मित्रता परिभाषित की

मित्र चाहे कितने भी क्यों ना हों, एक मित्र जस्सी जैसा सरदार भी रखना। जब जी करे चुटकुले सुनने का झट से उसे याद करना। शहादत का जब जिक्र आए तुरंत उससे इतिहास जान लेना। खाने पीने की बात आए या नया हो कुछ करना तुरंत उस से सलाह लेना और उसका साथ हाजिर पाना। मित्र चाहे कितने भी क्यों ना हों, एक मित्र जस्सी जैसा सरदार भी रखना। दिमागी कसरत करनी हो तुरंत उसे संदेश देना। सारे जहां की पहेलियां हाजिर पाना कभी गणित की, कभी मेंटल एबिलिटी की, कभी विज्ञान की चुस्ती दिमाग में लाना। मन करे समाचार और समीक्षा का कभी भी उसको कॉल करना कर देगा सराबोर अपने रंग में बस उसे एक बार झेल तो लेना। मित्र चाहे कितने भी क्यों ना हों, एक मित्र जस्सी जैसा सरदार भी रखना। मन हो शायरी सुनने का एक बार उसको पिंच कर देना फिर देखो पटियालवी शायरी बस तुम्हें ही पड़े संभालना। जब धैर्य हो उसका आजमाना कुछ ऐसा पांसा फेंकना ज्ञान की परतें बस उसे पड़े खोलना तुम्हें मिसाल दर मिसाल पड़े समेटना कभी ना धैर्य खोने वाले दोस्त से होगा सामना। मित्र चाहे कितने भी क्यों ना हों, एक मित्र जस्सी जैसा सरदार भी रखना।। प

चुनावी रेलमपेल

रेगिस्तान की पावन धरा पर चुनावी रेलमपेल, कोई दिखावे झूठे सपने ,कोई बोले राफेल। मीडिया भी उधर चले, जिधर दिखे तेल, जनता भी खूब समझे यह मदारी का खेल। रेगिस्तान की पावन धरा पर चुनावी रेलमपेल।। बड़ा मुद्दा है बेरोजगारी, उस पर महंगाई और सुरक्षा, इनका पूरा होना है बड़ी परीक्षा। मुद्दों से भागने का ढूंढा एक सलीका, घसीटो गांधी -नेहरू को यह है आसान तरीका। सत्ता के दावेदारों समझो जनता है बेहाल, ऐसे बोल- बोल के सता पाओगे तो ना होगे निहाल। अभी भी वक्त है कर लो मुद्दों से मेल, रेगिस्तान की पावन धरा पर चुनावी रेलमपेल।। व्यक्तिगत आक्षेपों से जनता आई आजीज, लोकतंत्र में हर मुद्दे पर चर्चा हो सटीक। असहिष्णुता को मिले ना कोई भाव, चारों तरफ हो बस सद्भाव का चाव। जनता तरक्की करे तुम्हें मिले सम्मान, वरना सबका अब हो जायेगा अवसान। मिलेगा कुछ नहीं बस, पांच साल बाद फिर वही चुनावी रेलमपेल।।

आलोक से कितना आलौकित में

5 साल का सफर, एक दूसरे से बेखबर, कभी मैस,कभी कॉमन रूम, आमना- सामना होता था, बस निकलते ऐसे थे, जैसे प्लेटफार्म पर होता था। समय बदला, अंदाज़ बदले, जगह बदली, काज बदले, सामाजिक अभिव्यक्ति के अंदाज़ बदले, व्यवसायी व राजनीति अपनाकर, तुमने व्यक्तित्व को नया अंजाम दिया, यों बदलते रहने का तुमने संदेश दिया। कभी गोवा बीचों पर, कभी बाली द्वीपों पर, कभी हरियाणवी धुन पर, कभी राजस्थानी साज पर, कभी यारों को साथ लिया, कभी भार्या का साथ दिया, यों बदलते रहने का तुमने संदेश दिया। मौज मस्ती की रंगत तुझ में खूब समाई है, व्यवसाय और राजनीति उसको कम न कर पाई है, फनी वीडियोज श्रृंखला बस तुझसे ही आती है, टेस्ट हमारे हैं अलग फिर भी तुझ से प्रभावित हैं, जीवनधारा है अप्रत्याशित, इसको मोड़ने का अंदाज तुमसे आया है, यों बदलते रहने का संदेश तुमसे पाया है।।

एक रवायत

दूर तक चलने वाली एक रवायत है तुझ में, टूटी हुई बेसहारा लोगों की आशाएं हैं तुझ में। वादियों में गुंजायमान बुलंद आवाज है तुझ में, सर्दी-गर्मी-वर्षा में न रुकने का संदेश है तुझ में। कई चाहे और अनचाहे किरदार हैं तुझ में।। नए फन और कर्तब के  जज्बे हैं तुझ में, लुप्त होती परोपकारिता का अक्ष है तुझ में। गरीब-अमीर सबके लिए समानता है तुझ में, कई बस्ती ,कई कस्बे ,कई बाजार हैं तुझ में। कई चाहे और अनचाहे किरदार हैं तुझ में।। प्रकृति से अद्भुत जुड़ाव है तुझ में, कई काफिले कई संसार है तुझ में। एक ख्वाहिश अभी भी ज्वलंत है तुझ में, वरना तन्हाई का भाव ना आता मन में। कई चाहे और अनचाहे किरदार है तुझ ।।

☇power freak

I never heard of anyone boasting that he was a station engineer .There is  nothing any dashing or swashbuckling about the life. He   casts down or casts up whole columns  first with a pen and then with cement and iron.    He plays nothing but tricks to save his skin in meetings  and sings only "shayaris" when he is tense . He marries sedately and after the first heat of youth. But he is a good fellow and a pleasant chap to live with and makes a happy woman of his wife. Unlike public servants ,he can not assert his dignity as an individual by a certain brusqueness of manner. A little sycophancy will be necessary. he will  ,for instance ,find it advisable to juggle adroitly with the weather. If a higher officer says, it is fine morning, why then it is fine morning, though the sullen thunder storms are piling up for a Niagara. How agreeable a partner for the life must be the man, who is little asperities of character, have been so rubbed into smoothness by the continual pra

करवा चौथ यों समझ आई

पचास पार का विधुर, बातों को तरसता है। है चारों तरफ सागर, फिर भी रेगिस्तान में रहता है।। करवा चौथ के दिन, बार -बार छत पर जाता है, पीछे मुड़- मुड़ ऐसे देखे, शायद कोई आता है।। पुराने दिनों के ख्वाब, फिर से मन में आते हैं। वो चटक चूड़ियां ,मेहरून लिबास, अब भी पीछा करते हैं।। वही चांद है ,वही धरती, पर चारों तरफ खामोशी है। खुद के चापों की आवाज, के सिवा सब धोखा है।। पचास पार का विधुर.... छत से उतरे ताके रसोई, वहां सब सूना- सूना है। पेट भराई के अलावा, बाकी सब अनमना है।। गृहस्थ जीवन नारी का वरदान है, अगर वह नहीं तो घर ही शमशान है। दिन अगर बीत जाए तो क्या, रातें लगती तूफान हैं। सबकी कोई मंजिल है , पर विधुर बे मंजिल हैं।। पचास पार का विधुर.... भला हो गूगल का, जहां पर उसकी सभा है। दो चार "लाइक " पर ही, बस वह टिका है।। डर के मारे बच्चों से, बात भी नहीं करता है। क्या पता किसके हिरदे से, कब दर्द छलक जाए। इसलिए बस अपने आप में, कछुआ सा सिमट जाए।। पचास पार विधुर ....

# Me Too

जब हम छोटे बच्चे थे, तोते को मिटू कहते थे। मीटू वही बोलता था, जो उसे सिखाते थे। समय ने पलटी मारी, मिटू वह  बोलने लगा, जो दुनिया में होने लगा। अक्टूबर 17 में, एलिसा मिलानो ने, एक मी टू टि्वटर पर छोड़ा, और मि टू धाराप्रवाह बोला। मिटू मिटू सुन सुन के, दुनिया के कान खड़े हुए। पहले ही दिन 2 लाख, निकले मुद्दे गड़े हुए। भारत देश महान है, छुपाना इसकी शान है। साल भर बाद जब पापी घड़ा भरा, यहां भी मी टू बड़ा उभरा। कोई खेर, कोई रजत -भगत, कोइ नाना प्रचार में आए। कोई खास से आम हुए, कोई संस्कारी बदनाम हुए। हर संस्था में इसके, चर्चे बड़े आम हुए। जिस मजबूती से प्रचार हुआ, उससे ही मजबूरी का भान हुआ। चाहे चटखारा, चाहे मसखरी, बातें हैं सब खरी खरी। दिन बदल गए हैं भाई, जमाना लद गया है भाई। नारी की गरिमा समझो, उसको पूरा सम्मान दो, जोर - जबरदस्ती बेकार है, अब शब्दों की ही सरकार है। इसलिए सब धरो ध्यान, शील शब्द का रखो मान।। शुभकामनाओं के साथ मी टू को समर्पित                मोहन

50 days of Rational

The group rational was created on 18th August and it is exactly 50 days today to its formation. Actually we are almost in our 50s and we have seen a lot in our life .The beauty of our age is that now we see the world growing more younger, fresher and lively than we once supposed to be. Now we have discovered that traditions are true and therefore alive, indeed a tradition is not a tradition except it is alive. It is the aged people who realise the modernity and not the young, as they have never known anything else. The young people have stepped onto a moving platform which they hardly known to be moving. It is the advantage of beeing aged that they see the new things relieved sharply against a background, their shape definite and distinct. In background of the above thoughts, we had seen a good discussion in this group in last days on Section 377 IPC and 497 IPC in light of the Supreme Court judgements. The discussion well explained by our bureaucrat batchmates Mr Bhuvnesh Kumar gave

हैपी बर्थडे GLA Admn

श्रीखंड सी मीठी वो, खीचू सी नमकीन, आज है जिसका बर्थडे, वह हस्ती है नामचीन। पार्टियों की हवा-हवाई, सिनेमा की शौकीन, उड़ने में वह बाज जैसी, चेहरे से हसीन। कभी एशिया, कभी यूरोप, कभी अमेरिका की टॉप, जेंडर से लेडी है वो, पर व्यक्तित्व है बड़ा ही खाप। कभी कोई सलाह मांगो, देवे वो दिल खोल, हमें प्यारी उसकी फ्रेंडशिप अनमोल।। यूं ही तुम उड़ती रहो, यूं ही लिखती रहो, यूं ही हौसला रहे कायम, यही हमारी दुआ है इस बर्थडे के टाइम।।

कितनी सब्र‌‌ करूं ?

कितनी सब्र करूं, मैं कितनी सब्र करूं? सूरज की तरह उठकर, कितनी बार वापस गिरूं? रोज उठने पर वही क्रिया, वही की वही दिनचर्या, वहीं पहाड़ सा‌ दिनो का बोझ, किस पर‌ बोझ‌ धरूं? मैं कितनी सब्र करूं ? चारों तरफ नीरस सी हंसी, झूठे अपनापन की फांसी, रोज बिजली का आना-जाना, मैं कितनी सब्र करूं? उत्पात मचाती बेहूदी खबरें, धीरे- धीरे तपाती‌  खबरें, भजनी साठी जलोटा की खबरें, प्रियंका जोनास की खबरें, खरे और ख़ोटों की खबरें, मैं किस पर विश्वास करूं? मैं कितनी सब्र करूं? रोज सब्जी का थैला हाथ में, रोज राशन की लाइन में, रोज रूपए- डालर का झगड़ा, रोज बीमारी के नाम का लफड़ा, रोज धर्म के नाम पर फूट, मैं किस पर विश्वास करूं? मैं कितनी सब्र करूं?

HMA B-Arch

हैप्पी मैरिज एनिवर्सरी भुवनेश हैप्पी मैरिज एनिवर्सरी अर्चना, साथ फिरते फिरते तुमने, रच दी बड़ी रचना।। कॉलेज में ना किस्से थे, ना थी कोई विवेचना। चुपके चुपके सिरे चढी, तुम दोनों की तमन्ना।। हमें तब पता चला, जब भुवनेश बना रसिक शायर, और अर्चना ने सीख लिया रखना सीजफायर। दुआ हमारी कुबूल हो प्रभु, रहे सलामत लखनवी बेगम - नवाब, इनके ना कभी रहें अधूरे ख्वाब। मिलकर बार-बार ये गायें, जब जब यह दिन आए, सुन लो सारी दुनिया वालों, जितना भी तुम जोर लगा लो, करेंगे पार्टी सारी नाइट। हम बोलें आल नाइट मोर ब्लास्ट,  आल नाइट मोर ब्लास्ट।।

Remembring with proud

It is again an opportunity for remembering and renewing your devotion and contribution to your worldly family on your third Death anniversary. On account of many years spent with you, I have become so strong that today I do not feel down but I proudly remember you as the source of inspiration for our life journey. Time and again I find myself in the place of a narrater in the novel" body and soul " of the last decade of 19th century by british writer Sir Richard Francis Burton. In which the narrator goes on a long journey where he misses his wife with such a strong urge that he feels the presence of his wife by his side on the bed and he shows to his friends , the wrinkles on the bed establishing his wife's physical presence there. This proves that it is the intensity of emotions which creates the physical substance e.g. thirst creates a mirage of water in desert and similarly physical substance may create emotions e.g. whenever I eat "Bread pakoda" it creates

Teachers day :A door to valuable memories.

On the last Shikshak Diwas I wrote about my first and favourite primary teacher shri H P Jangid who illuminated the lamp of education in me by his guidance and I could complete my primary education of 5th standard with a lot of practical knowledge about struggle to follow. Today I am recalling the memories of our great headmaster of Government Middle School ,Nakrasar Shri Ram Gopal Sharma Sahab who was true architect of my life. He was slim and smart person of around 50 at that time i.e. during 1976 to 1979. A very soft spoken person and excellent teacher who never used to beat his students . He was a kind of teacher who helped his students with open heart and was not a tuition greedy teacher like that of today. When I look back in my life then I find the most valuable asset of "help and blessings" from my teachers. I would not have been where I am today, rather I might have been a Shepherd, because in rural area at that time the profession of a Shepherd along with agricultu

Sidhh...haha typo

Sidhh...haha typo. Yep this is what is the real and natural reaction of your friends when they expect something to be delivered but you fail. This is actually the hundred dollar question of the hour too. As you know I started a new WhatsApp group on 18th August thinking of the earlier group admin as political and non listener. Though in this case I do not receive any monetary benefits from all of you but when you claim to be different and deliver something new, then their reaction is natural. I tried my best to go to Vishu for improvement like going to America for help,to Anil like going to China, to debu live going to Russia & to Jassi like going to Canada but all did not work and you expected something new, that too within a period of 15 days. I again tried to comment on friends posts like appreciating cow, Ganga and Yamuna but this too did not work. I also took help of yoga and personal fitness and personal works like cleaning of household like fridge and others like washing a

A humble and small effort

I had started writing my blogs in August 2017 i.e. one year before and I have written 51 blogs so far and this is the 52nd Blog in the 52nd week of writing. I wrote mostly on my college life, my alumni Association,culture of Rajasthan and some on my personal issues. Today I am writing it for some noble cause, for the land of Kathakali dance, land of great Malayalam poet vallathol Narayana Menon, land of sons and daughters who serve in the nursing services in the far flung areas of the desert of Rajasthan with full devotion and compassion, the land which has highest literacy rate , good longevity of life span ,a good centre of Ayurveda. Kerala about which once the vallathol Narayan Menon said "when you hear the name of India your heart must swell with pride and when you hear the name of Kerala your blood must throb in the veins". But today this land of god is in the pain of the cruelty of century's worst flood, in which more than 231people have lost their lives .10 lacs

Admn block to bhishma bhavan bldg

Approximately one year before i.e. on 6th Sep 2017 our grand WhatsApp group RECKERS84 was abolished by its admin Mr Anurag  Jagota due to  increase of difference of opinions among its members .Consequently a new group was formed" Reckers84 Friends Forever" and I wrote a blog in pain  of abolition of earlier " logic wins emotions lose."      During last one year I have seen that" Reckers84 friends forever" group was not only having difference of opinions but bitterness too. It was becoming difficult  to express once thought freely and in natural way on any issue not suitable to a particular ideology. And it remimds  me of the old Rajasthani adage  on the formation  of Reckers84 friends forever from Reckers84 as "आगा‌ से पिछा भला,ना भला लेटूरा।।   Therefore I stopped to interact through the "Racker 84 friends forever"  except sharing my blogs because some of my close friends and literature lovers demanded in so.   But recently on a normal b

We see what we desire

Yesterday, the day of passing away of late  Shri Atal Bihari Vajpayeeji , brought a memorable event for me in the form of receiving my first passport  of the life for 10 years . As per natural   human instinct I could not refrain myself from sharing its happiness with my friends but as we know everything appears as per our attitude (shradha) . For example a thief sees gold in an idol while a devotee sees  God in it. Some of the interesting comments on my passport  issue I have received and  am sharing with you with all humble and happiness:- The very first comment came from The Postman who brought it in the hot afternoon and his comment was"Sahab Karamchari ko passport Lene se Kya fayda Milta Hai". It showed his eagerness towards an easy  opportunity. Second comment I received from my children who simply liked showing their faith and endorsement of my actions. They might see me a role model. Third reaction received from a Punjabi friend who likes my blogs was "this pa

म्हारी पिछाण (Our recognition).

भासा री गिणत भिणत कोनी, क्यूं कूड़ी धजा फरुकावौ हौ। सात किरोड़़ मिनखां री भासा, ईनै पिछाण कद दिलावौ हौ।। The Rajasthan is the biggest state of the India geographically and having more than 7 crores of population. Its people speak the Rajasthani language. The Rajasthani is the name of group of dialects spoken in Rajasthan and recognised as a distinct literary language by Sahitya Academy and UGC. It constitutes of 10 vowels and 31 comsonents. It has funds of folk literature consisting of ballads, songs, proverbs, folk tales and panegyric. Rajasthani language is an lndo- Aryan language, having roots in vedic Sanskrit and saurasen prakrit. Saurasen prakrit was initial language of Mathura region spread westwards(towards modern gujarat - saurashtra) and developed modification and called gurjari , the common language of Gujarat and Rajasthan . But from 1450 Rajasthani and gurjari started to get differentiate and in subsequent centuries distinct Rajasthani language developed. The main

Pin & Shackle Insulators Improve the lives.

On 2nd and 3rd of this month I have been on practical examination duty in an examination conducted by NCVT. NCVT is an organisation established in 1956. The NCVT has been entrusted with the responsibilities of prescribing standards and curricula for craftsmen training, advising the Government of India on the overall policy and programmes, conducting All India Trade Tests and awarding National Trade Certificates. In eighties there were only two ITI in Churu District. Today there are 9 ITI only in a small town of Sardarshahar in different trades. It clearly shows that the approach towards vocational courses has been increased .There were 50 students on first day and 54 on the second day in electrician trade. It gives me immense pleasure to mention that some ITI in private sector impart good vocational training to the students in different trades like electrician, diesel mechanic , draughtsman civil etc. Most of the students were seemed from rural background and interested to get vocatio

Dil Se Happy led to Rahul Jhappy

Today it was a day when I tried something new and got an appointment for the biometric identification, live scan fingerprinting and digital photo imaging for a new passport at PO PSK, head post office, Churu. The PO PSK services now have started at 13 district headquarters in Rajasthan. it really went very smooth and quick there. Immediate document verification at one seat and thereafter live scan fingerprinting, digital photo imaging at another seat. it given the feeling that India is now really changing" badal raha hai "Many applicants wearing local wears were making queries in mother language Rajasthani , processing by local staff and process was in Hitech manner. What an amazing experience, otherwise years ago it was to go to Jaipur number of times and there was difficult to ask questions in heavy statewide crowd of applicants, as so many examples I have heard from the people getting passport for going Arab countries of our area at that time. This has created such an inne

A journey by luck

Last saturday i.e. on 14-07-18 I have been to Agra and Fatehpur Sikri, though without planning but memories have been very good . left Jaipur by a taxi at 7:00 a.m. And took breakfast of "curry- kachori" at around 8:30 at Manpur. Manpur is approximately 8 kilometres from Sikandara chauraha" . Breakfast was very simple but reached direct to heart. It was so lovely in presentation in a" patal "plate,tasty and mouth watering that i still enjoy its taste even today through my inner senses. On reaching Agra at around 11:00 a.m. I had enjoyed a unique support and guidance of an intelligent person from Agra local who captured some pics and explained all about the beauty of Taj Mahal very humbly. Then the person took us to the famous paratha shop of "Ram Babu parathe wala", the taste of his paratha is unique though rates are high appx 200/- per piece. Anybody Visiting Agra should enjoy the taste of parathas of Agra and purchase different kinds of "Pethas

२९ जून:इक शमां ने‌ समां बांधा

आज फिर पुराना एल्बम खोला , ग्रामीण मकान, मेड़ी,नेड़ी सब सामने आये, कुछ साथी रविन्द्र,रामकुमार और बजरंग से ख्यालों में आये, भाटिया साहब कंघी करते यों ही जवां से मुस्काये। उनकी भेंट दिवाल घड़ीअब पूरी हुई, पर समय आज भी मन ही मन मुस्काये। समय ने यादों के दरवाजे खोले, अब ना दर्पण, ना आरसी बोलें, अब बस सिर्फ यादें ही यादें बोलें। वो आगे इंजन वाली गज्जूजी की गाड़ी तब की चंचला, चपला, आज हेरिटेज हुई, मकान जहां हमने बंधन बांधा, आज है चोगुना पर लगता आधा। अर्जुन दादाजी द्वारा कन्यादान, कितना पवित्र,कितना महान। एक शमां और गहरा तूफान, लगता था अंधेरे का अपमान। खूब निभाया उसने मेल, गृहस्थ जीवन हो या हो खेल। खूब संवारा , खूब संजोया, जो कोई सानिध्य मे आया। दो-ढाई दशक की यादें ,अब लगती शोले, ऐ मेरे मन अब कुछ उस जैसा हो ले। दिन महिने बर्ष मेरे ख्याल टटोलें, अब बस सिर्फ यादें ही यादें बोलें। वक्त जब इम्तिहान लेता है, मिट्टी के खिलौने बिखेर देता है। तो भी पुरुषार्थ कहां मिटता है, संस्कार की शक्ल में जिंदा रहता है। बस इतना जरूर है फिर कभी खिलौने ना बोलें, बस फिर सिर्फ यादें ही

किसान समस्यायें : हरित गुत्थी

50% आबादी, अन्नदाता देश की, 18% भागीदारी, अर्थव्यवस्था की। खाना छाछ,प्याज व रोटी, पहनावा सूती कपड़ा व जूती। धंधा खेती , मौसमी जुआ, समझो इसे, खुद के लिए कुआं। छोटी जोत,कमज़ोर सिंचाई, बीज व खाद पर सूदखोर की मनचाही। अगर पहुंच गए खेत, रूठे इंद्रदेव फिर दसों पेस्ट के झंझट उस पर मौसमी झोला रोके फाल गर बच गए वहां तो कटाई में बारिश इतने जरख जबड़ों के बाद बाजार में लागत के आधे दाम यहां समझदारी आये न काम। किस्मत का मारा किसान जब सड़क पर आए, तो वह राजनीति का मोहरा कहलाए। भूखे-प्यासे खूब चिल्लाये, तब सरकारें आयोग बिठाये। भाई इसमें ना राजनीति ,ना नाटक यह सीधी पेट की लड़ाई की खटक। चार बजे सारा परिवार उठे, तब बच्चे और पशुधन भूख से बचें। इनको लागत पर 50% ज्यादा दो, नहीं तो दूसरा काम दो, जिसमें सामाजिक ,स्वास्थ्य सुरक्षा पक्की दो। या फिर कोई हुनर सिखाओ, और इनको रामदेव , रविशंकर बनाओ। जिम्मेदारों इनकी व्याकुलता समझो, कितना दुखद पानी के लिए गोली खाना, कभी कर्जे के कारण फांसी लगाना, और कभी सूखे के कारण पेशाब पीना। जब 2000 किसान रोज तजें खेती , कहां से आएगी तरकारी मीठी। यह द

Mumbai halt

I reached exactly at 8:00 hours at CST terminal 2 on dated 17th may 2018 and had  exit through P6 and telephoned to Anil who was already at P8. He came down to P6 and we both went  upstairs to be P8 and caught his vehicle. I got shocked at the very  first instance on seeing a parking fee of rupees 220 at CST2.     As morning time was pleasing at Mumbai and without much crowd on roads, Anil decided to take me first of All to the" Siddhivinayak mandir" for darshan. We reached within 15 minutes there and I was lucky that there was no much crowd inside the temple and some  special Marathi tactics in talks by anil with lady guard there ,  it got us soon in front of the "Vinayak dias". We offered garlands to the Siddhivinayak. The most attracting thing at Siddhivinayak temple was Begging for the Mannat i.e. your desire to be written on a white board by your fingers. Thereafter Anil straight  took me to the Marine Drive and had some pics there and heard interesting sto

अद्भूत मराठवाड़ा

सन् 2000 ,साल अट्ठारह, मई माह , तपत पठारी आंचल, ईश्वर कृपा यों हुई, देखा मराठवाड़ा प्रांचल । अजन्ता की बौद्ध गुफायें, जिनकी पेन्टिंग कहीं न पायें, मूर्तियां मुंह यों बोलें,  जैसे जीवनसार बतायें। यू- आकृति मे बनी गुफायें, जीवन व्याधि का कारण बतायें।। एलोरा का कैलाश मंदिर, आर्किटेक्चर का गुरूशिखर। शिव की स्थली ऐसी भाई,   नजरें बारम्बार दौड़ाई । खेतों में  बैल जोते देखे,  कोटन, कोर्नसीड बोते देखे , छोटे- छोटे पानी के ह़ोद देखे, कम पानी मे खेती के कमाल देखे। लोग काफी व्यस्त देखे, फिर भी बहुत शालीन दिखे ।। धन्य मराठवाड़ा, धन्य लोग, जिनके सुन्दर हैं उद्योग। जगह का यह  असर रहा,  बेमिशाल सफर रहा।।