जब हम छोटे बच्चे थे,
तोते को मिटू कहते थे।
मीटू वही बोलता था,
जो उसे सिखाते थे।
समय ने पलटी मारी,
मिटू वह बोलने लगा,
जो दुनिया में होने लगा।
अक्टूबर 17 में,
एलिसा मिलानो ने,
एक मी टू टि्वटर पर छोड़ा,
और मि टू धाराप्रवाह बोला।
मिटू मिटू सुन सुन के,
दुनिया के कान खड़े हुए।
पहले ही दिन 2 लाख,
निकले मुद्दे गड़े हुए।
भारत देश महान है,
छुपाना इसकी शान है।
साल भर बाद जब पापी घड़ा भरा,
यहां भी मी टू बड़ा उभरा।
कोई खेर, कोई रजत -भगत,
कोइ नाना प्रचार में आए।
कोई खास से आम हुए,
कोई संस्कारी बदनाम हुए।
हर संस्था में इसके,
चर्चे बड़े आम हुए।
जिस मजबूती से प्रचार हुआ,
उससे ही मजबूरी का भान हुआ।
चाहे चटखारा, चाहे मसखरी,
बातें हैं सब खरी खरी।
दिन बदल गए हैं भाई,
जमाना लद गया है भाई।
नारी की गरिमा समझो,
उसको पूरा सम्मान दो,
जोर - जबरदस्ती बेकार है,
अब शब्दों की ही सरकार है।
इसलिए सब धरो ध्यान,
शील शब्द का रखो मान।।
शुभकामनाओं के साथ मी टू को समर्पित
मोहन
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