चंडीगढ़ का चाव बहुत
दोस्तों की चाह बहुत
सुनहरी निमंत्रण बहुत
यह शहर खूबसूरत बहुत
यहां हसीनाएं बेमिशाल
जो भांगड़े पर देवें ताल
संस्कृतियों का यहां है फ्यूजन
देख के ड्रिंक्स पांऊ कन्फ्यूजन
कैसे आऊं आपके देश
कुछ ईमान डिगने का डर
कुछ ड्रिन्कस में भीगने का डर
कुछ ड्रीम्स में खोने का डर
जो तुम इनसे सुरक्षा की गारंटी दो
तो हो सकता है नए वर्ष पर मिलन हो।।
अगस्त 84 एडमिशन ,रैगिंग हुई भरपूर, अभिमन्यु भवन तीर्थ था ,आस्था थी भरपूर। खिचाई तो बहाना था ,नई दोस्ती का तराना था, कुछ पहेलियों के बाद ,खोका एक ठिकाना था । भट्टू ,रंगा ,पिंटू ,निझावन ,मलिक ,राठी , सांगवान और शौकीन इतने रोज पके थे, रॉकी ,छिकारा ,राठी ,लूम्बा भी अक्सर मौजूद होतेथे । मेस में जिस दिन फ्रूट क्रीम होती थी, उस दिन हमें इनविटेशन पक्की थी। वह डोंगा भर - भर फ्रूट क्रीम मंगवाना, फिर ठूंस ठूंस के खिलाना बहुत कुछ अनजाना था, अब लगता है वह हकीकत थी या कोई फसाना था ।। उधर होस्टल 4 के वीरेश भावरा, मिश्रा, आनंद मोहन सरीखे दोस्त भी बहुमूल्य थे , इनकी राय हमारे लिए डूंगर से ऊंचे अजूबे थे। दो-तीन महीने बाद हमने अपना होश संभाला, महेश ,प्रदीप ,विनोद और कानोडिया का संग पाला । फर्स्ट सेमेस्टर में स्मिथी शॉप मे डिटेंशन आला ।। हमें वो दिन याद हैं जब नाहल, नवनीत,विशु शॉप वालों से ही जॉब करवाने मे माहिर थे , तभी से हमें लगा ये दोस्ती के बहुत काबिल थे । थर्ड सेम में आकाश दीवान की ड्राइंग खूब भायी थी, इसीलिए ला ला कर के खूब टोपो पायी थी। परीक्षा की बारी आई तो
Dear ...dar me aage jeet he.
ReplyDeleteThat is nice method to see the things. Thx for positive comment.
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