5 साल का सफर,
एक दूसरे से बेखबर,
कभी मैस,कभी कॉमन रूम,
आमना- सामना होता था,
बस निकलते ऐसे थे,
जैसे प्लेटफार्म पर होता था।
समय बदला, अंदाज़ बदले,
जगह बदली, काज बदले,
सामाजिक अभिव्यक्ति के अंदाज़ बदले,
व्यवसायी व राजनीति अपनाकर,
तुमने व्यक्तित्व को नया अंजाम दिया,
यों बदलते रहने का तुमने संदेश दिया।
कभी गोवा बीचों पर,
कभी बाली द्वीपों पर,
कभी हरियाणवी धुन पर,
कभी राजस्थानी साज पर,
कभी यारों को साथ लिया,
कभी भार्या का साथ दिया,
यों बदलते रहने का तुमने संदेश दिया।
मौज मस्ती की रंगत
तुझ में खूब समाई है,
व्यवसाय और राजनीति
उसको कम न कर पाई है,
फनी वीडियोज श्रृंखला
बस तुझसे ही आती है,
टेस्ट हमारे हैं अलग
फिर भी तुझ से प्रभावित हैं,
जीवनधारा है अप्रत्याशित,
इसको मोड़ने का अंदाज तुमसे आया है,
यों बदलते रहने का संदेश तुमसे पाया है।।
अगस्त 84 एडमिशन ,रैगिंग हुई भरपूर, अभिमन्यु भवन तीर्थ था ,आस्था थी भरपूर। खिचाई तो बहाना था ,नई दोस्ती का तराना था, कुछ पहेलियों के बाद ,खोका एक ठिकाना था । भट्टू ,रंगा ,पिंटू ,निझावन ,मलिक ,राठी , सांगवान और शौकीन इतने रोज पके थे, रॉकी ,छिकारा ,राठी ,लूम्बा भी अक्सर मौजूद होतेथे । मेस में जिस दिन फ्रूट क्रीम होती थी, उस दिन हमें इनविटेशन पक्की थी। वह डोंगा भर - भर फ्रूट क्रीम मंगवाना, फिर ठूंस ठूंस के खिलाना बहुत कुछ अनजाना था, अब लगता है वह हकीकत थी या कोई फसाना था ।। उधर होस्टल 4 के वीरेश भावरा, मिश्रा, आनंद मोहन सरीखे दोस्त भी बहुमूल्य थे , इनकी राय हमारे लिए डूंगर से ऊंचे अजूबे थे। दो-तीन महीने बाद हमने अपना होश संभाला, महेश ,प्रदीप ,विनोद और कानोडिया का संग पाला । फर्स्ट सेमेस्टर में स्मिथी शॉप मे डिटेंशन आला ।। हमें वो दिन याद हैं जब नाहल, नवनीत,विशु शॉप वालों से ही जॉब करवाने मे माहिर थे , तभी से हमें लगा ये दोस्ती के बहुत काबिल थे । थर्ड सेम में आकाश दीवान की ड्राइंग खूब भायी थी, इसीलिए ला ला कर के खूब टोपो पायी थी। परीक्षा की बारी आई तो
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