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Friendship

Friendship with celestial
objects is divine
but difficult to realise
Friendship with nature
is like a life line
and easy to visualise
Friendship amongst
human beings is the
way of promotion of
love and peace
necessary for mankind
Which paves the way
to sail us through highs
and lows of life
by mutual cooperation,
and guidance
and needed to survive.

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RECK की यादें,दोस्तों को समर्पित

अगस्त 84 एडमिशन ,रैगिंग हुई भरपूर,  अभिमन्यु भवन तीर्थ  था ,आस्था थी भरपूर।  खिचाई तो बहाना था ,नई दोस्ती का तराना था,  कुछ पहेलियों के बाद ,खोका एक ठिकाना था । भट्टू ,रंगा ,पिंटू ,निझावन ,मलिक ,राठी , सांगवान और शौकीन इतने रोज पके थे, रॉकी ,छिकारा ,राठी ,लूम्बा भी  अक्सर मौजूद होतेथे । मेस में जिस दिन फ्रूट क्रीम होती थी,  उस दिन हमें इनविटेशन पक्की थी। वह डोंगा भर -  भर फ्रूट क्रीम मंगवाना, फिर ठूंस ठूंस के खिलाना बहुत कुछ अनजाना था, अब लगता है वह हकीकत थी या कोई फसाना था ।। उधर होस्टल 4 के वीरेश भावरा, मिश्रा, आनंद मोहन सरीखे दोस्त भी बहुमूल्य थे , इनकी राय हमारे लिए डूंगर से ऊंचे अजूबे थे। दो-तीन महीने बाद हमने अपना होश संभाला,  महेश ,प्रदीप ,विनोद और कानोडिया का संग पाला ।  फर्स्ट सेमेस्टर में स्मिथी शॉप मे डिटेंशन आला   ।। हमें वो दिन याद हैं जब नाहल, नवनीत,विशु  शॉप वालों से ही जॉब करवाने मे माहिर थे , तभी से हमें लगा ये दोस्ती के बहुत काबिल  थे ।  थर्ड सेम  में आकाश दीवान की ड्राइंग खूब भायी थी, इसीलिए ला ला कर के खूब टोपो पायी थी। परीक्षा की बारी आई तो

श्री भीमनाथजी सिद्ध‌ एक संस्था थे

श्री भीम नाथ सिद्ध एक कलम और बात के ही‌ धनी नहीं थे बल्कि एक संस्था थे ।आपका जन्म ग्राम बादड़िया तहसील सरदारशहर में हुआ। आपकी स्नातक तक की शिक्षा सरदारशहर कस्बे में ही हुई। उसके बाद आपने एलएलबी श्री डूंगर महाविद्यालय बीकानेर से प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। एलएलबी के बाद आपने चूरू जिला मुख्यालय पर 1972 में वकाल के पेशे को अपनाया और लगभग 49 वर्ष इस पेशे में रहे और 2020 से लगातार बार एसोसिएशन सरदारशहर के अध्यक्ष पद पर आसीन थे।वकालत को‌‌ आपने सिर्फ पेशा ही नहीं सामाजिक दायित्व के तौर पर‌‌ लिया और हर समाज ,हर वर्ग के कार्य को पूरी निष्ठा से किया और जन-जन के हृदय में जगह बनाई। आप एक बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे, जो वकालत के साथ-साथ राजनीति में भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हमेशा सक्रिय रहे। आप 1985 से 1990 तक मालसर ग्राम पंचायत के सरपंच और पंचायत समिति सरदारशहर के उपप्रधान रहे और इसके माध्यम से जन सामान्य की हर संभव मदद की।आप क्षेत्र के बड़े राजनीतिज्ञों के हमेशा से विश्वास पात्रों में रहे। चाहे वह पूर्व विधायक श्री हजारीमल जी सारण( जो उनके राजनीतिक गुरु भी थे) हों, या फ

2nd Death Anniversary :Humble Smarananjali

This day is most difficult for me to face because I have lost everything in a sudden which I piled up in  previous 25 years . But  any way every person has his/her destiny in its own way and every person who comes, brings   a return ticket with him/her. What is precious is the way we spend the time in this world. To some we don't see worth in their life time but others are fondly remembered even after their eternal journey and their ideals continue to guide for  long long years.       Your  straight forward ,simple and pious character was an epitome of grace and your family devotion is an inspiration for carrying on the life journey for us. You are always with us.       Today what I am posting in pious rememberence of you, if  would have been  seen by you, then  you might have certainly chuckled and would have termed it false praise. But it is not like that I am in full sense .you are worthy to remember ,worthy to accolade and your ideals are always worthy to follow and we ar