यह कैसी दो हजार बीस की साल आई
अपने संग दुश्वारियां ही दुश्वारियां लाई
ड्रैगन देश से फैली एक बीमारी
अकस्मात बन गई यह महामारी
वायुयानों के पंख थम गए
भूतल परिवहन है मारी मारी
बच्चों की पढ़ाई छिन गई
दुश्वार हो गई दिन गुजारी
यह कैसी दो हजार बीस...
उद्योग पतियों के उद्योग रुक गये
मजदूरों की दिहाड़ी
नेताओं की चौधर रुक गई
घूम रहे हैं जैसे कबाड़ी
किसान हो गए घर तक सीमित
कैसे बचेगी अब फुलवारी
यह कैसी दो हजार बीस...
ममता, स्नेह और साथ निभाना
बात लगती है कोई दीवानी
दादा, पापा ,मां और बेटी
में एक साथ जब कोविड पहचानी
पूरा घर जब अस्पताल पहुंचे
कैसे बचे खुशियों की क्यारी
यह कैसी दो हजार बीस...
डर को ऐसे पंख लगे
महिलाएं दुर्गा बन गई
कहीं स्कूटी पर माता
बेटे को ला रही
तो कहीं बेटी पिता को
अपने गांव ले जा रही
कोई किसी की सुने नहीं बात
दुनिया आपे से बाहर हो रही
डॉक्टरों को देखकर ही
थोड़ी लौटे जीने की खुमारी
यह कैसी दो हजार बीस की साल आई
अपने संग दुश्वारियां ही दुश्वारियां लाई
कोढ में खाज का काम
कर रहे कहीं टिड्डी और भूकंप
ड्रैगन फिर भी सीमा पर
लगा रहा है कैंप पर कैंप
शायद उसकी अब खुली आंखें
देख नहीं रही आसन्न विनाश प्रलयकारी
यह कैसी दो हजार बीस की साल आई
अपने संग दुश्वारियां ही दुश्वारियां लाई
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