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श्री भीमनाथजी सिद्ध‌ एक संस्था थे


श्री भीम नाथ सिद्ध एक कलम और बात के ही‌ धनी नहीं थे बल्कि एक संस्था थे ।आपका जन्म ग्राम बादड़िया तहसील सरदारशहर में हुआ। आपकी स्नातक तक की शिक्षा सरदारशहर कस्बे में ही हुई। उसके बाद आपने एलएलबी श्री डूंगर महाविद्यालय बीकानेर से प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की।
एलएलबी के बाद आपने चूरू जिला मुख्यालय पर 1972 में वकाल के पेशे को अपनाया और लगभग 49 वर्ष इस पेशे में रहे और 2020 से लगातार बार एसोसिएशन सरदारशहर के अध्यक्ष पद पर आसीन थे।वकालत को‌‌ आपने सिर्फ पेशा ही नहीं सामाजिक दायित्व के तौर पर‌‌ लिया और हर समाज ,हर वर्ग के कार्य को पूरी निष्ठा से किया और जन-जन के हृदय में जगह बनाई।
आप एक बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे, जो वकालत के साथ-साथ राजनीति में भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हमेशा सक्रिय रहे।
आप 1985 से 1990 तक मालसर ग्राम पंचायत के सरपंच और पंचायत समिति सरदारशहर के उपप्रधान रहे और इसके माध्यम से जन सामान्य की हर संभव मदद की।आप क्षेत्र के बड़े राजनीतिज्ञों के हमेशा से विश्वास पात्रों में रहे। चाहे वह पूर्व विधायक श्री हजारीमल जी सारण( जो उनके राजनीतिक गुरु भी थे) हों, या फिर वर्तमान विधायक श्रीमान भंवर लाल जी शर्मा हों।
आप श्री देव जसनाथ सिद्धाश्रम (बाड़ी) धर्मार्थ ट्रस्ट बीकानेर के लंबे समय तक अध्यक्ष रहे और वर्तमान में भी अध्यक्ष दे। इस दौरान आपने बीकानेर में श्री देव जसनाथ जी महाराज के मंदिर और धर्मशाला के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और जसनाथी साहित्य के ग्रंथ को प्रकाशित करवा कर समाज की युवा पीढ़ी को समाज के इतिहास और इसकी संस्कृति से अवगत करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
आपने सरदार शहर में श्री देव जसनाथ जी मंदिर के लिए जमीन दिलवाने और इसका निर्माण करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जिसको कृतज्ञ समाज हमेशा याद रखेगा।
आपकी जीवन शैली भी उत्कृष्ट थी। सुबह 5:00 बजे उठना और फिर ब्रह्म मुहूर्त में व्यायाम करना और आयुष विज्ञान के अनुसार भोजन ग्रहण करना यह आपकी दिनचर्या में शामिल था।
आपका जीवन अनुशासन हर किसी के लिए अनुकरणीय है।
आप दिल से एक आदर्श किसान थे और अभी भी गांव में ट्यूबेल बना रखे हैं। जिनकी सार संभाल, फसल और उसके बेचान तक सभी कार्यों की आप रोज खबर लिया करते थे और समीक्षा करते थे । किसान का दर्द हमेशा आपके हृदय में रहता था।
मेरा आपसे लगभग 35 सालों से जुड़ाव रहा है। जिसमें मैंने उनके हृदय की इस पीड़ा को हमेशा महसूस किया। उनका कहना था किसान की सबसे बड़ी विडंबना यह है कि" किसान की उपज का भाव कोई और तय करता है जबकि बाजार के हर प्रोडक्ट का भाव निर्माता स्वयं तय करता है।"
परिवार के हर सदस्य और हर रिश्तेदार की बातों को वो कभी दिल पर नहीं लेते थे और उनको नादान समझ कर माफ कर दिया करते थे। यही उनके चरित्र का सबसे अद्भुत गुण था।
आप जन-जन की स्मृति में हमेशा बने रहेंगे।
भगवान आपको अपने श्री चरणों में स्थान दें।
आप को शत-शत नमन।।




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