लाल है प्यार का रंग
लाल जुड़ा है खतरे संग
लाल बनाए आकर्षक
लाल ही इश्क के ढंग
यों तुम लाल लिबास पहनकर
हम पर बिजलियां गिराया ना करो।
इन बालों को भी यों बांधा ना करो
अगर बांधो तो फिर खोला ना करो
और खोलो तो फिर देखने से रोका ना करो
जब इन्हे बांधते हो तो
तुम्हारा भाल चंद्र सा लगता है
खोलते हो तो हमारे दिल में
ज्वार सा उठने लगता है
चंद्रमा के चरित्र को
यों उजागर किया ना करो
हम पर बिजलियां गिराया ना करो
कैदखाना हैं बिन सलाखों का
ये तुम्हारी दो आंखें
उठती आंखें दुआ बनती
झुकती बनती अदा ये आंखें
यों इनमें काजल लगा कर
और गहरा बनाया ना करो
हम पर बिजलियां गिराया ना करो
तेरे ये सुर्ख होंठ
कभी गुलाब लगते हैं
कभी लगते हैं शोले
इनकी शरारती मुस्कानों पर
हमारा ईमान डोले
यों इन्हें सुर्ख बनाया ना करो
हम पर बिजलियां गिराया ना करो
तेरे गालों पर पड़ते ये गड्ढे
इन पर जो फिसले फिर ना उबरे
जमाना बहुत खराब है
कोई इन्हें "क्वारंटाइन" केंद्र ना कह दे
इन गड्ढों पर लगाम लगाया करो
हम पर बिजलियां गिराया ना करो।
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