पिछली बार मैंने हरी सांगरी की सब्जी की रेसिपी लिखी थी। हरी सांगरी का अब मौसम जा रहा है और सांगरी अब खोके में परिवर्तित होने लगी है । खोखा सूखने पर मीठा स्वाद लिए हल्के भूरे रंग का हो जाता है जिसको बच्चे बड़े सभी राजस्थान में ड्राई फ्रूट की तरह है खाते हैं।
आज मेरे पास हरी सांगरी की लगभग 50 ग्राम मात्रा ही बची हुई थी। जिसको मैंने आज सांगरी का खाटा/सांगरी की कढी बनाने में प्रयोग की है।
चूंकि शनिवार का दिन फुर्सत का दिन था और इसलिए इत्मीनान से इसको बनाया और तबियत से इसको राजस्थानी बाजोट पर रखकर और जमीन पर आसन पर बैठकर घी मिलाकर और मिस्सी रोटी चूर कर खाया है। आप भी मेरे इसे पढ़कर मेरे स्वाद का रसास्वादन कीजिए।
यूं तो खाने के मामले में खाने वाले की सेहत, खाने वाले का क्षेत्र ,उसकी खाते समय की मन:स्थिति आदि का भोजन के स्वाद पर बहुत प्रभाव पड़ता है।
फिर भी कुछ चीजें सामान्य रूप से क्षेत्र विशेष में विशेष रुप से प्रचलित और पसंद की जाती हैं। इसी कड़ी में मैं आज हरी सांगरी का खाटा/कढी बनाने की विधि पेश कर रहा हूं। हो सकता है यह शहरी समुदाय में कम लोकप्रिय हो लेकिन मजदूर व किसान समुदाय जोकि खाने को औषधि मानकर, जमीन पर बैठकर, भगवान का शुक्रिया अदा कर भोजन करते हैं उनके लिए अमृत तुल्य है।
मैं इसे जीएलए के सत्ते पे सत्ता तो नहीं कहूंगा परंतु सामान्य वर्ग के लिए मट्ठे पे मट्ठा जरूर कहूंगा।
सामग्री एक आदमी के लिए
50 ग्राम छोटे टुकड़ों में कटी हुई हरी सांगरी
20 ग्राम (4 छोटे चम्मच) बेसन
एक बड़ा प्याला दही( वास्तव में ग्रामीण क्षेत्र में कभी दो प्याला छाछ से ही बनाई जाती थी)
एक बड़ा चम्मच खाद्य तेल
चुटकी भर हींग
चौथाई छोटा चम्मच राई
एक छोटा चम्मच पीसा लाल मिर्च पाउडर
आधा छोटा चम्मच पीसा हुआ हल्दी पाउडर
आधा छोटा चम्मच पिसा हुआ धनिया पाउडर
एक छोटा चम्मच नमक
थोड़ी सी पान मेथी(गार्निश करने के लिए)
बनाने की विधि
सबसे पहले हरी सांगरी को 10 मिनट उबालते हैं फिर उसका पानी निकाल कर एक प्याले में रख लेते हैं ।
एक दूसरे बर्तन में एक प्याला दही और उतना ही पानी मिलाकर उसे मथनी से अच्छी तरह मथते हैं ताकि यह मिश्रण समरूप बन जाए ।अब इसमें बेसन, लाल मिर्च पाउडर, हल्दी पाउडर, धनिया पाउडर और नमक डालकर घोल बना लेते हैं।
अब एक पतीले में एक बड़ा चम्मच तेल डालकर इसे गैस पर गरम करने के लिए चढ़ा देते हैं और इसमें हींग पाउडर फिर राई डाल देते हैं। राई में चटचट की आवाज आने पर इसमें पहले से तैयार दही और बेसन वाला घोल डाल देते हैं और इसमें उबाल आने तक चम्मच लगातार घुमाते रहते हैं। उबाल आने पर गैस सिम करके उबली हुई सांगरी डाल देते हैं और सिम गैस पर फिर 5 मिनट तक पकाते हैं ताकि सांगरी दही का रस ग्रहण कर ले। अब कढी तैयार है , नमक इस समय चेक कर सकते हैं यदि कम लगे तो अब स्वादानुसार और डाल सकते हैं । अब इसके ऊपर मसल कर पान मेथी डालकर थोड़ी और मैं हकदार बना लेते हैं ।
अब इसको बाजोट पर रखकर और जमीन जमीन पर आसन पर बैठकर घी मिलाकर मिस्सी रोटी इसमें चूर कर खाने का अद्वितीय स्वाद लेते हैं और प्रभु का गुणगान करते हैं।
जितनी सादा है जिंदगी
उतनी ही स्वस्थ है जिंदगी।
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