आज ज्येष्ठ कृष्ण प्रतिपदा है। ज्येष्ठ महीना रेगिस्तान में सबसे शुष्क और गर्म होता है ,फिर भी इस माह में खेजड़ी( शमी) वृक्ष पूर्णतया हरा और फलों (जिन्हें सांगरी कहते हैं )से लदा हुआ होता है। खेजड़ी रेगिस्तान के लोगों के जीवन का आधार और विपरीत परिस्थितियों में भी सहज रहने की प्रेरणा देती है। खेजड़ी के पत्ते( लूंग) पशुओं का उत्तम चारा, इसके फल (सांगरी) से कढी, अचार और सब्जी बनते हैं। इसकी लकड़ियां इंधन का उत्तम स्रोत व हवन में समीधा के काम आती हैं। इसकी जड़ से फर्नीचर ,और हल बनाया जाता है।
किसी जमाने में खेजड़ी की सांगरी व लकड़ी रेगिस्तान के किसानों के लिए नकदी पाने का आधार होता था। गर्मी के दिनों में सुबह 6:00 बजे सांगरी लाने जाते थे ,दोपहर12:00 बजे तक वापस लौटते थे, फिर सांगरी की सब्जी और दही व मिसी रोटी खाकर सांय 6:00 बजे तक सांगरी की चुंटाई करते थे। बच्चों का योगदान सांगरी चुंटाई में विशेष उल्लेखनीय होता था। छोटे-छोटे हाथ चटचट सांगरी चुंटते थे।
संयोग से आज ज्येष्ठ के पहले ही दिन मेरे घर के सामने लगे खेजड़ी के पेड़ से सांगरी प्राप्त कर सांगरी की सब्जी के साथ लंच करने का अवसर प्राप्त हुआ। प्रकृति अद्भुत है इसने हर मौसम में मनुष्य को व्यस्त रहने का अवसर दिया है। रेगिस्तान में तो हर साल मार्च से जुलाई तक लोक डाउन जैसा ही रहता है। इसलिए प्रकृति ने खेजड़ी जैसे परोपरी वृक्ष दिए जो इन भीषण गर्मी के दिनों में हरा चारा व फल देते हैं और लोगों को व्यस्त और स्वस्थ रखते हैं। इस पेड़ को कोई पानी भी नहीं देना होता, गहरी जड़े जमीन से पानी लेती रहती है।
हरी सांगरी की सब्जी :-
1-हरी सांगरी- 50 ग्राम (एक आदमी के लिए-दोनों साइड के नुक्के काटकर छोटे-छोटे टुकड़े की हुई)
2-प्याज- एक मध्यम साइज (बड़े टुकड़ों में काटा हुआ)
3-लाल मिर्च पाउडर एक छोटा चम्मच
4-धनिया पाउडर आधा छोटा चम्मच
5-हल्दी पाउडर आधा छोटा चम्मच
6-नमक तीन चौथाई छोटा चम्मच
7-लहसुन दो कलियां
विधि
सबसे पहले सांगरी दो गिलास पानी में 5 से 7 मिनट उबालें, फिर पानी निकाल कर प्याले में रख ले । लहसुन की कलियां बारीक पीस लें और पेस्ट बनालें। अब कढ़ाई में एक टेबल वाले चम्मच जितना मूंगफली का तेल लेकर उसे मध्यम गैस पर पर चढ़ा दें, तेल गर्म होने पर जीरा और लहसुन पेस्ट डाल दें, जीरे में चटचट की आवाज आने पर प्याज डालकर प्याज की कलियां खुलने तक भूनें फिर उबली हुई सांगरी डालकर मिला दें और बाकी मसाले डालें और मिलाएं। अब धीमी आंच पर 4से5 मिनट तक पकाएं । बस तैयार हो गई हरी सांगरी की सब्जी इसे मिस्सी रोटी के साथ खाए हैं तो स्वाद दुगना हो जाएगा।
अगस्त 84 एडमिशन ,रैगिंग हुई भरपूर, अभिमन्यु भवन तीर्थ था ,आस्था थी भरपूर। खिचाई तो बहाना था ,नई दोस्ती का तराना था, कुछ पहेलियों के बाद ,खोका एक ठिकाना था । भट्टू ,रंगा ,पिंटू ,निझावन ,मलिक ,राठी , सांगवान और शौकीन इतने रोज पके थे, रॉकी ,छिकारा ,राठी ,लूम्बा भी अक्सर मौजूद होतेथे । मेस में जिस दिन फ्रूट क्रीम होती थी, उस दिन हमें इनविटेशन पक्की थी। वह डोंगा भर - भर फ्रूट क्रीम मंगवाना, फिर ठूंस ठूंस के खिलाना बहुत कुछ अनजाना था, अब लगता है वह हकीकत थी या कोई फसाना था ।। उधर होस्टल 4 के वीरेश भावरा, मिश्रा, आनंद मोहन सरीखे दोस्त भी बहुमूल्य थे , इनकी राय हमारे लिए डूंगर से ऊंचे अजूबे थे। दो-तीन महीने बाद हमने अपना होश संभाला, महेश ,प्रदीप ,विनोद और कानोडिया का संग पाला । फर्स्ट सेमेस्टर में स्मिथी शॉप मे डिटेंशन आला ।। हमें वो दिन याद हैं जब नाहल, नवनीत,विशु शॉप वालों से ही जॉब करवाने मे माहिर थे , तभी से हमें लगा ये दोस्ती के बहुत काबिल थे । थर्ड सेम में आकाश दीवान की ड्राइंग खूब भायी थी, इसीलिए ला ला कर के खूब टोपो पायी थी। परीक्षा की बारी आई तो
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