भारत के गांव आत्मनिर्भर ही थे । यहां राजस्थान में भी ऐसा ही सूरते हाल था।यहां किसान अनाज के साथ दलहन और तिलहन भी उगाते थे । ककड़ी ,तरबूज, टिन्डा जैसी सब्जियां भी उगाते थे ।गर्मियों के दिनों में यह सब्जियों नहीं होती थी तो दलहन (जैसे मोठ, मूंग ,चौला)से पापड़, बड़ी(मंगोड़ी) बनाकर स्टॉक करके रख लेते थे और इनकी सब्जी बनाते थे। यूं तो गर्मी में प्राय: बड़ी(मंगोड़ी), पापड़ ,खेलरा ,फोफलिया आदि की सब्जी बनाते थे ।लेकिन मोठ की बड़ी की सब्जी और साथ में रायता बरसात होने पर जरूर बनते थी। शायद मोठ की बड़ी का चटपटा स्वाद और रायते की मिठास बरसात के मौसम के माकूल होती है। कल चूंकी यहां कुछ बरसात हुई और बादल घिरे हुए हैं। मौसम खुशगवार है, तो मां के द्वारा ऐसे मौसम में बड़ी की सब्जी बनाना और खिलाना सहसा ही याद आ गया और इसलिए आज मोठ की बड़ी की सब्जी और रायते के साथ लंच किया।
सामग्री एक आदमी के लिए
मोठ की बड़ी आधा कप
खाद्य तेल एक बड़ा चम्मच
एक प्याज मध्यम साइज का
लाल मिर्च पाउडर एक छोटा चम्मच
हल्दी पाउडर आधा छोटा चम्मच
धनिया पाउडर आधा छोटा चम्मच
नमक पाउडर आधा छोटा चम्मच
हींग चुटकी भर
लहसुन चार कलियां
बनाने की विधि
सबसे पहले मोठ की बड़ी को तवे पर धीमी आंच में हल्का भूरा होने तक भून लेते हैं और एक प्याले में रख लेते हैं।
एक दूसरे प्याले में प्याज को छोटे-छोटे टुकड़े कर रख लेते हैं। लहसुन की कलियों को बारीक पीसकर एक कप में रख लेते हैं।
अब कढ़ाई में तेल गर्म करते हैं और उसमें हींग पाउडर, पिसा (बटा) लहसुन और जीरा डाल देते हैं ।जीरा पकने पर इसमें प्याज डालकर हल्का पका लेते हैं और लाल मिर्च पाउडर, हल्दी पाउडर, धनिया पाउडर और नमक मिला देते हैं और धीमी सिम गैस पर मसाला पकने देते हैंऔर बीच-बीच में चम्मच चलाते रहते हैं। 5 मिनट बाद इसमें भुनी हुई बड़ी भी मिला देते हैं और 2 कप पानी डालकर ढक्कन लगाकर सिम गैस पर पकने देते हैं । लगभग 10 मिनट में सब्जी बन कर तैयार हो जाती है । आवश्यकता हो तो नमक चेक कर लिया जाता है और अपने स्वाद अनुसार और मिलाया भी जा सकता है। इस सब्जी को देशी घी में चुपड़ी बाजरे की रोटी के साथ खाने में अद्भुत आनंद आता है। इसके साथ ही बूंदी का रायता भी मिल जाए तो बरसाती मौसम की बहार और इस लंच की उपहार हृदय में ऐसे बैठ जाती है की बचपन से लेकर बुढ़ापे तक खिलाने वाले के हाथ का जादू हमेशा याद रहता है।
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