वर्षा आई चाव से
भीगा तन मन सारा
निर्लज्ज कड़के बिजली
जैसे हो प्रेम इशारा
घर आंगन बेगाना लगे
हृदय यूं चिंगारी लगे
अब वर्षा भी खारी लगे
पड़-पड़ बूंदों की आवाज
जैसे प्रेम संगीत नायाब
वल्लरियां जब पेड़ों से लिपटे
आलिंगन का इशारा सा लगे
हृदय यूं चिंगारी लगे
अब वर्षा भी खारी लगे
काली घटाएं ऐसे छाई
दिन को ही अब रात बनाई
धड़ धड़ अब हृदय धड़का
कैसे होगा अब अगला तड़का
सारा माहौल दुश्वार लगे
हृदय यूं चिंगारी लगे
अब वर्षा भी खारी लगे
प्यारे मोर पपीहा बोलें
ये पक्षी भी मन की गांठ खोलें
प्रिया हो तो हम भी डोलें
अपने हृदय की वाणी बोलें
हृदय यूं चिंगारी लगे
अब वर्षा भी खारी लगे
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