व्हाट्सएप पर मैसेज पढ़ा
फिर जाना करके ट्रिन
आज नया रोल निभाया
सुखद है आज का दिन
अनन्या एग्जोमी करती है
असम बाढ़ के लिए काम
ना रुपए ,ना गहने
इकट्ठा करती सामान आम
चार किलो कपड़े भेजे
पाया खुशी का मुकाम
मनुष्य वही है
जो मुश्किल को समझे
और झटपट दे अंजाम
थोड़ा सा दूर रख दो
सिर्फ अपने लिए जीना
फिर देखो मुश्किल नहीं
खुशियों को ढूंढना
रोज-रोज नहीं आते
ऐसे कुदरती तूफान
रख लो थोड़ा सा
मानवता का भी ध्यान।
अगस्त 84 एडमिशन ,रैगिंग हुई भरपूर, अभिमन्यु भवन तीर्थ था ,आस्था थी भरपूर। खिचाई तो बहाना था ,नई दोस्ती का तराना था, कुछ पहेलियों के बाद ,खोका एक ठिकाना था । भट्टू ,रंगा ,पिंटू ,निझावन ,मलिक ,राठी , सांगवान और शौकीन इतने रोज पके थे, रॉकी ,छिकारा ,राठी ,लूम्बा भी अक्सर मौजूद होतेथे । मेस में जिस दिन फ्रूट क्रीम होती थी, उस दिन हमें इनविटेशन पक्की थी। वह डोंगा भर - भर फ्रूट क्रीम मंगवाना, फिर ठूंस ठूंस के खिलाना बहुत कुछ अनजाना था, अब लगता है वह हकीकत थी या कोई फसाना था ।। उधर होस्टल 4 के वीरेश भावरा, मिश्रा, आनंद मोहन सरीखे दोस्त भी बहुमूल्य थे , इनकी राय हमारे लिए डूंगर से ऊंचे अजूबे थे। दो-तीन महीने बाद हमने अपना होश संभाला, महेश ,प्रदीप ,विनोद और कानोडिया का संग पाला । फर्स्ट सेमेस्टर में स्मिथी शॉप मे डिटेंशन आला ।। हमें वो दिन याद हैं जब नाहल, नवनीत,विशु शॉप वालों से ही जॉब करवाने मे माहिर थे , तभी से हमें लगा ये दोस्ती के बहुत काबिल थे । थर्ड सेम में आकाश दीवान की ड्राइंग खूब भायी थी, इसीलिए ला ला कर के खूब टोपो पायी थी। परीक्षा की बारी आई तो
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