लगन को कांटो की परवाह नहीं होती
बनाना लोगों के दिलों में जगह
फिर भी आसान नहीं होती
बन जाये गर एक बार दिलों में जगह
उनकी दुआयें फलीभूत अवश्य होती
प्रजातंत्र के इस खूबसूरत तंत्र में
पालिका जीत ही सबसे मौलिक होती
अपने ही लोगों के बीच अपने ही कस्बे में
उनकी मूलभूत समस्याओं के निराकरण
का एक सुनहरा अवसर प्रदान करती
सरदार शहर के वार्ड नंबर 24 से
आपकी उल्लेखनीय जीत हमें इस
चुनौती पर आपके खरा उतरने
के लिए बहुत आश्वस्त करती ।।
अगस्त 84 एडमिशन ,रैगिंग हुई भरपूर, अभिमन्यु भवन तीर्थ था ,आस्था थी भरपूर। खिचाई तो बहाना था ,नई दोस्ती का तराना था, कुछ पहेलियों के बाद ,खोका एक ठिकाना था । भट्टू ,रंगा ,पिंटू ,निझावन ,मलिक ,राठी , सांगवान और शौकीन इतने रोज पके थे, रॉकी ,छिकारा ,राठी ,लूम्बा भी अक्सर मौजूद होतेथे । मेस में जिस दिन फ्रूट क्रीम होती थी, उस दिन हमें इनविटेशन पक्की थी। वह डोंगा भर - भर फ्रूट क्रीम मंगवाना, फिर ठूंस ठूंस के खिलाना बहुत कुछ अनजाना था, अब लगता है वह हकीकत थी या कोई फसाना था ।। उधर होस्टल 4 के वीरेश भावरा, मिश्रा, आनंद मोहन सरीखे दोस्त भी बहुमूल्य थे , इनकी राय हमारे लिए डूंगर से ऊंचे अजूबे थे। दो-तीन महीने बाद हमने अपना होश संभाला, महेश ,प्रदीप ,विनोद और कानोडिया का संग पाला । फर्स्ट सेमेस्टर में स्मिथी शॉप मे डिटेंशन आला ।। हमें वो दिन याद हैं जब नाहल, नवनीत,विशु शॉप वालों से ही जॉब करवाने मे माहिर थे , तभी से हमें लगा ये दोस्ती के बहुत काबिल थे । थर्ड सेम में आकाश दीवान की ड्राइंग खूब भायी थी, इसीलिए ला ला कर के खूब टोपो पायी थी। परीक्षा की बारी आई तो
Comments
Post a Comment