जीवन की आपाधापी में
चाहे कितना दूर चला जाऊं
पांच बरस की अवधि पर
ज़ी टी में 'रेक' जरूर आऊं
थाई ,चाइनीजऔर कॉन्टिनेंटल
चाहे कितनी भी बार खाऊं
स्वाद रेक के राजमा - चावल का
कभी ना मैं भुला पाऊं
दुनियां में घूम - घूम कर मैं
चाहे कितना ही इतराऊं
घूम 'रेक 'की कॉरिडोर
सुकून मातृ आंचल सा पाऊं
उड़न खटोले चढ़कर मैं
चाहे दुनियां घूमूं और इतराऊं
किरमिच रोड के ट्रैक्टर से लटक
उस यात्रा का सुख कहां से पाऊं
गंगा,यमुना ,सरस्वती का
चाहे संगम देख कर आऊं
ब्रह्मसरोवर की संध्या की
रंगत कहां से पाऊं
400 ,220 या 132 केवी के
चाहे कितने भी ब्रेकर लगाऊं
विशू ,शेखू और नवनीत संग
इंडक्शन मोटर के प्रयोग कहां से लाऊं
यूं तो मेरा पुनर्जन्म में विश्वास नहीं
फिर भी यदि पुनर्जन्म पाऊं
रेकर ही हों मेरे सहपाठी
और 'रेक' ही कॉलेज पाऊं।
Excellent expression of our 5 year precious past....
ReplyDeleteThank you unknown for your valuable comment .
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