अरे !रेशनल ग्रुप
ना कभी तू रहना चुप
जगोटा की जाग से
बांगा की बांग से
उठ जाया कर
देबू से रोज फूल
नए मंगाया कर
अगर महसूस हो गम
युद्धि, विशु ,देबू कर देंगे कम
फिर भी यदि ना हो कम
आलोक, खरीट ठोक देंगे खम
भूवनेश की शायरी
भर देगी जख्म
मन चाहे कॉकटेल
अनिल, अघी जानते हैं खेल
फिर भी यदि ना मिटे भूख
जस्सी भाई ना करेगा चूक
सीखने हो दोस्ती के सुर
सतीश ,विजय मोहन ,पुनीत
अवि ,विनोद, दुग्गल ,कंसल
दिलबागी ,अम्मी, शाही, पंत ,लखी
नीरज, मिगलानी देंगे अच्छे गुर
सीखनी हो चुप्पी
आकाश, अमिताभ, धीमन
राजू, दहिया, बहल ,टंडन
राजेश भर देंगे तेरा मन
बन ना हो क्रांतिकारी
सुयोग ,तुषार ,अंजन ,थॉमस
बिज्जू, बिजोयेश
मिटा देंगे भ्रांति सारी
सुननी हो गजल
विशु कर देगा समां सजल
सुनना हो रेक का गीत
सिंघानिया पालेगा पूरी प्रीत
लगाने हो ठहाके
खिलन ले जाएगा उठा के
अगर कभी बढ़ जाए दर्द
रातें हो जाये सर्द
याद करना मुझको
अजय की फैक्ट्री से
उठा के लाऊंगा
एक पत्थर अदद
रख लेंगे छाती पर
यही है जीवन का सबब
अगस्त 84 एडमिशन ,रैगिंग हुई भरपूर, अभिमन्यु भवन तीर्थ था ,आस्था थी भरपूर। खिचाई तो बहाना था ,नई दोस्ती का तराना था, कुछ पहेलियों के बाद ,खोका एक ठिकाना था । भट्टू ,रंगा ,पिंटू ,निझावन ,मलिक ,राठी , सांगवान और शौकीन इतने रोज पके थे, रॉकी ,छिकारा ,राठी ,लूम्बा भी अक्सर मौजूद होतेथे । मेस में जिस दिन फ्रूट क्रीम होती थी, उस दिन हमें इनविटेशन पक्की थी। वह डोंगा भर - भर फ्रूट क्रीम मंगवाना, फिर ठूंस ठूंस के खिलाना बहुत कुछ अनजाना था, अब लगता है वह हकीकत थी या कोई फसाना था ।। उधर होस्टल 4 के वीरेश भावरा, मिश्रा, आनंद मोहन सरीखे दोस्त भी बहुमूल्य थे , इनकी राय हमारे लिए डूंगर से ऊंचे अजूबे थे। दो-तीन महीने बाद हमने अपना होश संभाला, महेश ,प्रदीप ,विनोद और कानोडिया का संग पाला । फर्स्ट सेमेस्टर में स्मिथी शॉप मे डिटेंशन आला ।। हमें वो दिन याद हैं जब नाहल, नवनीत,विशु शॉप वालों से ही जॉब करवाने मे माहिर थे , तभी से हमें लगा ये दोस्ती के बहुत काबिल थे । थर्ड सेम में आकाश दीवान की ड्राइंग खूब भायी थी, इसीलिए ला ला कर के खूब टोपो पायी थी। परीक्षा की बारी आई तो
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