तुम्हारा पवित्र स्नेह है
सूर्य की लालिमा में
रोज देखा करती हूं
नाश्ते के पहले कोर
के स्वाद में
रोज अपना बचपन
महसूस करती हूं
दोपहर के सूर्य के
तपते तेज में रोज
तेरा ही अक्स देखती हूं
शाम को चंद्रमा की चांदनी में
तेरे लिए मां के निर्मल आंचल
सा सुकून तलासती हूं
रक्षाबंधन को कोई
बंधन ना समझना कभी
यह उस पवित्रता का नाम है
जिसे मैं हर भाई-बहन के
पवित्र स्नेह में अनुभव करती हूं
देना कुछ है तो
लौटा दे मेरा तेरे साथ
गुजरा बचपन कभी
बाकी दुनिया तो
अब जान ली है मैंने सभी।
Mamta sheth. Dedicated to all the sisters very good🙏👌
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