चुप्पी के कई अर्थ हैं
चुप्पी ना कभी व्यर्थ है
चुप्पी हो कश्मीर में
दुनिया चिंतन करती है
पाक हल्ला करता है
किंकर्तव्यविमूढ़ बनता है
गुंडे की तरह रेल बंद,
व्यापार छोड़ देता है
चुप्पी हो अगर मोदी की
मुद्रा व्यर्थ होनी है
या कश्मीर शांत होनी है
चुप्पी हो अमेरिका में
दुनिया चैन से सोती है
चुप्पी हो रूस में
वह मजबूती प्राप्त करता है
चुप्पी हो चीन-कोरिया में
सतर्क रहने की जरूरत है
चुप्पी हो भुवनेश, जैन की
ब्यूरोक्रेसी में सब ठीक है
चुप्पी हो विशू की
मतलब चंडीगढ़ में चैन है
चुप्पी देबू ,अघी की
मतलब खाने पीने गए हैं
चुप्पी अभिजीत की
मतलब कुछ सृजन चालू है
चुप्पी सतीश पांडे की
बेंगलुरु में जाम नहीं
चुप्पी है विक्की की
एनसीआर में सब ठीक है
चुप्पी सुयोग सेठ की
एमएनसी में राहत है
चुप्पी अंजन डे की
क्रांतिकारी खुश हैं
चुप्पी हो मेरी
समझ बात
इसमें भी है कुछ तेरी।।
अगस्त 84 एडमिशन ,रैगिंग हुई भरपूर, अभिमन्यु भवन तीर्थ था ,आस्था थी भरपूर। खिचाई तो बहाना था ,नई दोस्ती का तराना था, कुछ पहेलियों के बाद ,खोका एक ठिकाना था । भट्टू ,रंगा ,पिंटू ,निझावन ,मलिक ,राठी , सांगवान और शौकीन इतने रोज पके थे, रॉकी ,छिकारा ,राठी ,लूम्बा भी अक्सर मौजूद होतेथे । मेस में जिस दिन फ्रूट क्रीम होती थी, उस दिन हमें इनविटेशन पक्की थी। वह डोंगा भर - भर फ्रूट क्रीम मंगवाना, फिर ठूंस ठूंस के खिलाना बहुत कुछ अनजाना था, अब लगता है वह हकीकत थी या कोई फसाना था ।। उधर होस्टल 4 के वीरेश भावरा, मिश्रा, आनंद मोहन सरीखे दोस्त भी बहुमूल्य थे , इनकी राय हमारे लिए डूंगर से ऊंचे अजूबे थे। दो-तीन महीने बाद हमने अपना होश संभाला, महेश ,प्रदीप ,विनोद और कानोडिया का संग पाला । फर्स्ट सेमेस्टर में स्मिथी शॉप मे डिटेंशन आला ।। हमें वो दिन याद हैं जब नाहल, नवनीत,विशु शॉप वालों से ही जॉब करवाने मे माहिर थे , तभी से हमें लगा ये दोस्ती के बहुत काबिल थे । थर्ड सेम में आकाश दीवान की ड्राइंग खूब भायी थी, इसीलिए ला ला कर के खूब टोपो पायी थी। परीक्षा की बारी आई तो
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