अब मेरा रेगिस्तान बदल रहा है
बाजरे से लेकर खजूर तक उगल रहा है।
खेतों में डेयरी फार्म है
ट्यूब वेलों की कल-कल है
बिछी हुई है पाइप कहीं
कहीं फव्वारों से बरसात है
छाज की जरूरत नहीं, थ्रेसर घर्र-घर्र कर रहा है।
खेती के लिए ट्रैक्टर
पिकअप सामान ढोने को
चढ़ने को अब बोलेरो
मोटरसाइकिल घूमे छोरो
खेत -खेत तारबंदी, हर राह पर गेट लग रहा है।
जहां बाजरा होता था
वहां सरसों पसर रहा है
तिल वाले धोरों को
इसबगोल ढक रहा है
कहीं झड़ बेरी की इस धरती पर, खजूर का पेड़ मुस्कुरा रहा है।
गया था बेर खाने
देख कर यह नजारा
बचपन फिर से अन्दर लौट आया
बिजली - पानी का मेल यह, किसान को सशक्त कर रहा है।
अब मेरा रेगिस्तान बदल रहा है।।
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