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Showing posts from July, 2020

इत्तेफाक

इत्तेफाक महज इत्तेफाक से तो नहीं होते कुछ तो इस जहां से इनके अलग उसूल होते जिन्होंने मोड़े थे बड़ी नजाकत से रास्ते आज एक अजनबी वही चांद लेकर फिर लौटे

Friendship

Friendship with celestial objects is divine but difficult to realise Friendship with nature is like a life line and easy to visualise Friendship amongst human beings is the way of promotion of love and peace necessary for mankind Which paves the way to sail us through highs and lows of life by mutual cooperation, and guidance and needed to survive.

राजस्थानी बारानी टीन्डसी की सब्जी

सावन में निनाण काढां, निनाणां ली‌ नाह टीडन्सिंयां रो साग खावां, वाह रे सांईं‌ वाह। टीन्डसी राजस्थान की एक टीण्डा वर्ग की सब्जी है।उपरोक्त प्रसिद्ध राजस्थानी उक्ति टीन्...

अरबी की सूखी सब्जी

अरबी की सूखी सब्जी और बूंदी रायता के संग अगर मेसी रोटी मिल जाय फर्ज करो ऊपर से दो नारियल लड्डू भी हों तो कैसे आत्मा तृप्त हो जाय। अरबी गर्मियों में सहज ही उपलब्ध रहती है। अरब...

भाव में है सुंदरता

हाल दिल का मोबाइल रूपी किताब जितना ही चंचल है शब्दों को खूबसूरत हाथ ने रोक लिया आंखों के जज्बात रोकना मुश्किल है जुल्फों का बिखरा हुआ सौंदर्य और ये गरिमामय आभरण नज़रें हम...

निंबौरी

रखो दोस्ती का मिजाज नीम की निंबौरी सा जो अधीर,लोभी और लालची परखें दिखे उन्हे हरी भरी लगे उन्हें कड़वी-कड़वी। रखो दोस्ती का मिजाज नीम की निंबौरी सा जो धैर्यवान, सज्जन और गु...

मौत

मौत तो सच्चाई है भले बुरे पर पर्दा डालना इसकी सबसे बड़ी अच्छाई है चलते फिरते आ जाए मौत यही जिंदगी की सर्वोत्तम विदाई है। बिना गमों के गुजरे जिंदगी समझो कच्ची न्हाई (भट्टी) ह...

आइसक्रीम का असर

लोग कहते हैं जिंदगी आइसक्रीम की तरह है टेस्ट करो तो पिघलती है वेस्ट करो तो भी पिघलती है कौन यहां मनमाफिक जिंदगी जी पाता है यह तो किसी और की पहले से लिखी हुई पटकथा है परंतु आज ...

साल दो हजार बीस

यह कैसी दो हजार बीस की साल आई अपने संग दुश्वारियां ही दुश्वारियां लाई ड्रैगन देश से फैली एक बीमारी अकस्मात बन गई यह महामारी वायुयानों के पंख थम गए भूतल परिवहन है मारी मारी ...

क्रश बनाये बेबस

समय ही अब वह किताब है जिसमें मेरे संघर्ष का हिसाब है दोस्त और सोच अब तुम्हीं हो जिसके लिए जारी अब करतब है रास्ता अब केवल तुम्हारी ओर है जहां विचार-विमर्श की आशा है बिखरने का ...

एक सीख रसोई से

जब जब मैं इन्हें बनाता हूं पसीना रीढ की हड्डी के ऊपर चल कर पैरों तक आ जाता है तो कभी नाक से उतर कर मुंह में घुस जाता है। मेरे शरीर की नमक की पूर्ती सहसा ही कर जाता है बिन पानी के ...