Today had a long conversation with Anil Negi and refreshed in the mind the map of entire mumbai from north to south in this monotonous period of lockdown. Also knew their ration, milk, vegtable & fruit supply arrangement and its system of delivery to different societies in mumbai.
Also asked about the Suyog Sheth and its central Mumbai position, Rajan Tamane, Kapil,Manish and he conveyed that all are hale and hearty.
I connect with Anil Negi very well cause though he is modern but "deshi " to the core . That quality attracts me very well. When he talks about Ram Nagar orchards it feels as if i am there. Baat bahut dehati chhore ki tarah karta ha.
Also asked about our batch dollar earners like Tushar and Anurag. I hope they both are safe with their families.
Today was wholly devoted to covid talks to friends and in afternoon had sodium hypochlorite solution spray in office and GSS premises.
The conversation and spray is a normal process but sharing every activity with friends in this tough time is worthy of keeping all of us sane.
These days I write poems about lockdown period experiences and sharing with you from time to time.
In these days two posts in the group attracted our attention one was about Bhuvnesh " The yogi's yeoman" and other was distrition of food packets by Anjan Dey. They are doing very noble work indeed.
Navneet is also engaged in water pipeline maintenance which is also a courageous work in this tough time.
Hope you are all safe with your families. I specially request Tushar and Anurag to convey their updates on daily basis please.
Bakiyon se to mai baat kar hi lunga.
The greatest lesson of lockdown is value relationship over the all kinds of wealth. The covid has brought all the persons on equality e.g. be it way of living or treatment of disease. Otherwise we have started forgetting our rural system and its importance. Day before yesterday I talked to my beother and he assured if lockdown takes even one year I don't have any problem. He said "Bajri Ghar Ki ha aur Dheena Bhens ka hai aur Parivaar mere pass hai ab mujhe kya darr ha bhai sahab" . That time i felt myself very poor and felt proud of brother's strength.
A description of our present society has been put by me as under:-
कभी हम लिखते थे खत
शुरू करते थे श्री गणेशाय से
आज मोबाइल मैसेज शुरू होते हैं हाय से।
अब हम सुनते हैं फ्यूजन संगीत
संस्कृति छोड़कर पकड़ ली नई रीत
गुरु चरणों से दूर होकर
कोचिंग केंद्रों पर सिमट गया ज्ञान का दीप
कभी विचार करते थे परोपकार का
अब करते हैं उसको गुड बाय दूर से
छोड़कर खेतों की हरियाली
हमने सड़कों की भीड़ अपना ली
दबाकर सारी ख्वाहिशें
हमने अंदर चुप्पी भर ली
कभी रिश्तों का मजबूत कवच था
अब सब कुछ है फिर भी लगते हैं लावारिस से
गांव की याद आती है सपनों में
अपनों का अक्स महसूस होता है सांसो में
रिश्तो की केंचुली उतर रही है
लगता है जैसे घिस गए हैं बरसों में
कभी हंसते थे खिलखिला कर
अब रहते हैं अनमने से
कंप्यूटर बन कर जी रहे हैं
कंप्यूटर पर ही लिख रहे हैं
कंप्यूटर ने ही समेट लिया हमारा घर
बच्चे हों या बूढ़े हों सबके कुतर दिए इसने पर
घर- परिवार ,सामाजिक परिवेश को छोड़कर
फिरने लगे हैं रोबोट से।
अगस्त 84 एडमिशन ,रैगिंग हुई भरपूर, अभिमन्यु भवन तीर्थ था ,आस्था थी भरपूर। खिचाई तो बहाना था ,नई दोस्ती का तराना था, कुछ पहेलियों के बाद ,खोका एक ठिकाना था । भट्टू ,रंगा ,पिंटू ,निझावन ,मलिक ,राठी , सांगवान और शौकीन इतने रोज पके थे, रॉकी ,छिकारा ,राठी ,लूम्बा भी अक्सर मौजूद होतेथे । मेस में जिस दिन फ्रूट क्रीम होती थी, उस दिन हमें इनविटेशन पक्की थी। वह डोंगा भर - भर फ्रूट क्रीम मंगवाना, फिर ठूंस ठूंस के खिलाना बहुत कुछ अनजाना था, अब लगता है वह हकीकत थी या कोई फसाना था ।। उधर होस्टल 4 के वीरेश भावरा, मिश्रा, आनंद मोहन सरीखे दोस्त भी बहुमूल्य थे , इनकी राय हमारे लिए डूंगर से ऊंचे अजूबे थे। दो-तीन महीने बाद हमने अपना होश संभाला, महेश ,प्रदीप ,विनोद और कानोडिया का संग पाला । फर्स्ट सेमेस्टर में स्मिथी शॉप मे डिटेंशन आला ।। हमें वो दिन याद हैं जब नाहल, नवनीत,विशु शॉप वालों से ही जॉब करवाने मे माहिर थे , तभी से हमें लगा ये दोस्ती के बहुत काबिल थे । थर्ड सेम में आकाश दीवान की ड्राइंग खूब भायी थी, इसीलिए ला ला कर के खूब टोपो पायी थी। परीक्षा की बारी आई तो
Comments
Post a Comment