आज मैंने वक्त का इशारा समझा
और कूलर साफ किया
कूलर के भी हत्थे मेरे हाथ में आए
दर्द उसने भी अपना साझा किया
बोला चलता हूं इसलिए कि
डर है मेरी जगह कोई ऐ .सी. ना ले ले
वरना शरीर मेरा जर्जर है
तू अपनी भी टोह ले ले
बड़बड़ करता हूं ताकि तू ना भूले
तेरे बच्चे तो हैं हम हैं बिल्कुल अकेले
पानी का नमक पी-पीकर
हो गए शरीर में दुनिया भर के छेद
हो सका तो करूंगा फिर सेवा
वरना होगा मेरा यह आखिरी खेद
देख रहा हूं तू भी मेरी तरह
डरता है चलने से
इसीलिए तो कतराता है
दोस्तों की महफिल में जाने से
कुछ दोस्त अभी भी ना वाकिफ होंगे
उम्र की हकीकत से
पर तुम घुल मिल लेना समय रहते
समय को कहां मतलब है तुम्हारी अकीदत से।
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