राजेश है बिजली वाला
जिसका फोन एक रिंग में उठता है
मेरी भी धारणा यही बन गई
शायद रिंग में भी मीटर चलता है
राजेश कैथल से आता है
जो मेरे रास्ते में पड़ता है
ज्यादा कुछ बोल नहीं सकता
राजेश मूछों वाला बंदा है
मर्द की मूछें
बैल के सींग
प्रभाव जमाते दुगुना
चाहे पृथ्वी
चाहे प्रताप
या हो भील करणा
एक बात तय है
इनसे सामंजस्य से ही रहना
वरना अंडर फ्रीक्वेंसी पर
ट्रिप पड़ेगा होना
तेरा जन्मदिन विश्वकर्मा वाला
इसीलिए तू है
अद्भुत प्रतिभा और
सृजनशीलता वाला
अब बधाई बहुत हुई
कर कोई 'रेक' वाला उचाला
तू नाचे गाये झूमे तो
हमे याद आये मधुशाला
या फिर कोई सीन
हॉस्टल की छत वाला।।
अगस्त 84 एडमिशन ,रैगिंग हुई भरपूर, अभिमन्यु भवन तीर्थ था ,आस्था थी भरपूर। खिचाई तो बहाना था ,नई दोस्ती का तराना था, कुछ पहेलियों के बाद ,खोका एक ठिकाना था । भट्टू ,रंगा ,पिंटू ,निझावन ,मलिक ,राठी , सांगवान और शौकीन इतने रोज पके थे, रॉकी ,छिकारा ,राठी ,लूम्बा भी अक्सर मौजूद होतेथे । मेस में जिस दिन फ्रूट क्रीम होती थी, उस दिन हमें इनविटेशन पक्की थी। वह डोंगा भर - भर फ्रूट क्रीम मंगवाना, फिर ठूंस ठूंस के खिलाना बहुत कुछ अनजाना था, अब लगता है वह हकीकत थी या कोई फसाना था ।। उधर होस्टल 4 के वीरेश भावरा, मिश्रा, आनंद मोहन सरीखे दोस्त भी बहुमूल्य थे , इनकी राय हमारे लिए डूंगर से ऊंचे अजूबे थे। दो-तीन महीने बाद हमने अपना होश संभाला, महेश ,प्रदीप ,विनोद और कानोडिया का संग पाला । फर्स्ट सेमेस्टर में स्मिथी शॉप मे डिटेंशन आला ।। हमें वो दिन याद हैं जब नाहल, नवनीत,विशु शॉप वालों से ही जॉब करवाने मे माहिर थे , तभी से हमें लगा ये दोस्ती के बहुत काबिल थे । थर्ड सेम में आकाश दीवान की ड्राइंग खूब भायी थी, इसीलिए ला ला कर के खूब टोपो पायी थी। परीक्षा की बारी आई तो
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