Skip to main content

Posts

Showing posts from July, 2019

सुरेंद्र

चारों मिलकर चोसर रची खेली तुरत - फुरत चार साल के अंतराल में पायो सब अकूत आठ और चोदह में भूकंप आए सब हो गए भयभीत फिर भी हमने खूब निभाई इस दुनिया की रीत चाहे हो जॉब चाहे हो मित्र या हो परिवार की प्रीत बरस अठारवां ले डूबा सारे रंगों की लीक अब आपकी झोंपड़ी, मेरी झोंपड़ी बातें करें, बस यही बची तरकीब ऐसा ही होना था तो क्यों ललचाया नगरां जयपुर आप पहुंचे सुरपुर अब हम किससे पूछें और जीने का हुनर।।

सूंघकार

कुछ लोग बिन बुलाए आते हैं घर का माहौल सूंघ कर जाते हैं अपनी टिप्पणी के साथ राय भी दे जाते हैं बात भले चंद्रयान की करें घर को कश्मीर बना जाते हैं उनकी दस मिनट की सामग्री पर पूरा दिन लुट जाता है मेरे बेजान से ख्यालों में नया लहू उतर आता है।।

जीवन रूपी सड़क

जीवन सड़क जैसा है जिसे इससे गुजारना है उसे गुजारना ही है चाहे हो भारी चाहे हो प्रभारी चाहे हो तेज चाहे हो निस्तेज जिसे इस से गुजरना है उसे गुजरना ही है। ना करो कोशिश किसी को रोकने की लगाओ एक साइन बोर्ड सही तरह चलने की ना तेज दौड़ाने की ना अटकाओ रोड़े नहीं तो निकल आएंगे खुद के ही फोड़े बस सब को सहना है जिसे इससे गुजरना है उसे गुजरना ही है। जीतना होगा लंबा उतने ही होंगे इम्तिहान ज्यादा होंगे नए मुकाम भारी देख रोकना नहीं हल्का देख मुस्कुराना नहीं जीतनी होगी निर्लिप्तता उतनी होगी स्वाभाविकता चमक से कुछ होना नहीं धीरज कभी खोना नहीं खाली कभी रहना नहीं जो आए वही गहना है जिसे इससे गुजरना है उसे गुजरना ही है ।।

अनन्या एग्जोमी

व्हाट्सएप पर मैसेज पढ़ा फिर जाना करके ट्रिन आज नया रोल निभाया सुखद है आज का दिन अनन्या एग्जोमी करती है असम बाढ़ के लिए काम ना रुपए ,ना गहने इकट्ठा करती सामान आम चार किलो कपड़े भेजे पाया खुशी का मुकाम मनुष्य वही है जो मुश्किल को समझे और झटपट दे अंजाम थोड़ा सा दूर रख दो सिर्फ अपने लिए जीना फिर देखो मुश्किल नहीं खुशियों को ढूंढना रोज-रोज नहीं आते ऐसे कुदरती तूफान रख लो‌ थोड़ा सा मानवता का भी ध्यान।

द्वन्द्व का दीपक

द्वन्द्व का दीपक यूं ही जलता रहे संसार द्वन्द्व का नाम है कभी अहम् पर कभी चेतन पर कभी मार्क्सवादिता पर कभी पूंजीवाद पर द्वंद्व दीपक का संदेश है। कभी भगवा टीशर्ट की हार पर काली टीशर्ट का काला जादू बतलाना कभी मार्क्सवादिता पर पानी बचाने की मुहिम का तंज कसना कभी पानी मुफ्त करने की अपील करना सारा द्वंद्व ही तो है द्वंद्व दीपक का संदेश है। कभी एक आंख से देखना कभी दूसरी से परखना कभी दाढ़ी रख कर पेश होना द्वन्द्व का ही हिस्सा है द्वंद्व सबके जीवन का किस्सा है जिसने द्वन्द्व पढ़ना सीखा है उसके लिए जिंदगी एक लतीफा है द्वन्द्व पर लिखना अनोखा है पर सच है द्वंद्व दीपक का लेखा है।

बिन साजन बरसात

वर्षा आई चाव से भीगा तन मन सारा निर्लज्ज कड़के बिजली जैसे हो प्रेम इशारा घर आंगन बेगाना लगे हृदय यूं चिंगारी लगे अब वर्षा भी खारी लगे पड़-पड़ बूंदों की आवाज जैसे प्रेम संगीत नायाब वल्लरियां जब पेड़ों से लिपटे आलिंगन का इशारा सा‌ लगे हृदय यूं चिंगारी लगे अब वर्षा भी खारी लगे काली घटाएं ऐसे छाई दिन को ही अब रात बनाई धड़ धड़ अब हृदय धड़का कैसे होगा अब अगला तड़का सारा माहौल दुश्वार लगे हृदय यूं चिंगारी लगे अब वर्षा भी खारी लगे प्यारे मोर पपीहा बोलें ये पक्षी भी मन की गांठ खोलें प्रिया हो तो हम भी डोलें अपने हृदय की वाणी बोलें हृदय यूं चिंगारी लगे अब वर्षा भी खारी लगे

पानी पुरी

प्यारी-प्यारी पानी पुरी देख मुंह में पानी आए मेरा स्वभाव ठेले ले जाए सारे तौर तरीके दूर रह जाए जब मैं पा लूं पानी पुरी आलू प्याज मसाले भरी जलजीरा की जलपरी बच्चे जवान और अधेड़ में खाने की‌‌ है लत बड़ी सड़क किनारे ठेला देखूं लग जाये पानी पुरी की हथकड़ी इसका चर चरा नमकीन स्वाद बना दे मुझको अलहड़ी खा कर मैं बच्चा महसूस करूं ऐसी प्यारी पानी पुरी

भारत: डॉक्टर दिवस

सफेद एप्रन पहनकर मरीजों का मसीहा आता है कितना भी क्यों ना हो दु:ख मरीज का उसके आने से फिर विश्वास से भर जाता है उसके छू लेने से जादू सा हो जाता है। अक्सर कलाकार कहते सुने जाते हैं पात्र में जान फूंकने को पात्र बनना पड़ता है और फिर पात्र ही बनकर जीने लगते हैं सोचो यदि डॉक्टर ऐसा कहने लग जाए फिर क्या हाल दुनिया के होने लग जाए जिसके आने से उम्मीद ही‌ उम्मीद छा जाए मरीजों का दर्द अनुभव करते करते शायद कई बार करते होंगे मरीज जैसे दर्द का अनुभव ना कभी चेहरे पर इसका आभास होने देते ना कभी कार्य की नाप का अनुभव कराते ना कभी उनके कार्य की कीमत बताते बस जल्दी ठीक हो जाओगे इतना कहते जाते चारों तरफ उम्मीद की किरण हैं फैलाते शुक्र है परमात्मा का कुछ लोगों को महान सेवा कार्य में उतारते हैं जो दिन रात जीवन बचाने में लगाते हैं हम आज डॉक्टर दिवस पर उनका सौ सौ बार आभार व्यक्त करते हैं।