जज्बात तो जज्बात होते हैं
इन पर हमारा नियंत्रण नहीं
गर हो जाए कोई हमसे चूक
तो तुम देना गुस्सा थूक
आज एक चीते की शादी की सालगिरह है
उस को" विश "करने की चुनौती है
है चिता यह बड़ा अलबेला
जिसकी नहीं है अन्य मिसाल
कद में यह है पांच फुटिया
पर बोली से मचाता है धमाल
दुनिया की कोई ऐसी चीज नहीं
जो इसने कभी चखी नहीं
सूरज की तरह घूम घूम कर
दुनिया की सैर करता है
शिव बाबा की तरह
अपनी मस्ती में तांडव करता है
नहीं किसी की भाषा सुनता
नहीं किसी नियम से बंधता
हर एक के साथ बस
अपने ही तरीके से पेश आता है
इस की धर्मपत्नी को ढेरों सलाम
जो सचमुच में होंगी कमाल
आओ मिलकर चीते को ढूंढे
फिर पेश करें बधाइयों की मिसाल।
अगस्त 84 एडमिशन ,रैगिंग हुई भरपूर, अभिमन्यु भवन तीर्थ था ,आस्था थी भरपूर। खिचाई तो बहाना था ,नई दोस्ती का तराना था, कुछ पहेलियों के बाद ,खोका एक ठिकाना था । भट्टू ,रंगा ,पिंटू ,निझावन ,मलिक ,राठी , सांगवान और शौकीन इतने रोज पके थे, रॉकी ,छिकारा ,राठी ,लूम्बा भी अक्सर मौजूद होतेथे । मेस में जिस दिन फ्रूट क्रीम होती थी, उस दिन हमें इनविटेशन पक्की थी। वह डोंगा भर - भर फ्रूट क्रीम मंगवाना, फिर ठूंस ठूंस के खिलाना बहुत कुछ अनजाना था, अब लगता है वह हकीकत थी या कोई फसाना था ।। उधर होस्टल 4 के वीरेश भावरा, मिश्रा, आनंद मोहन सरीखे दोस्त भी बहुमूल्य थे , इनकी राय हमारे लिए डूंगर से ऊंचे अजूबे थे। दो-तीन महीने बाद हमने अपना होश संभाला, महेश ,प्रदीप ,विनोद और कानोडिया का संग पाला । फर्स्ट सेमेस्टर में स्मिथी शॉप मे डिटेंशन आला ।। हमें वो दिन याद हैं जब नाहल, नवनीत,विशु शॉप वालों से ही जॉब करवाने मे माहिर थे , तभी से हमें लगा ये दोस्ती के बहुत काबिल थे । थर्ड सेम में आकाश दीवान की ड्राइंग खूब भ...
कमाल की बधाईया का इंतजाम है। वा
ReplyDeleteवा क्या बात।