मैं काल हूं
तू बिल्ली है
मैं कुत्ता बनकर पीछे भागा
तूने दौड़ लगाई बचने को
तू आंख मूंदकर ऐसे भागी
सोचा भरमा दिया है मुझको
तू क्या जाने मेरी लीला
मैंने बन पहिया दबा दिया तुझको।
मुझसे कोई बच नहीं सकता
जब मेरी नज़र पड़े किसी पर
एक पक्षी को पंखों पर विश्वास
मैंने बन भतूला किया घात
एक सोते हुए पर पड़ी नजर
उसके लिए फिर ना हुई प्रभात।
जागे, सोते, उठते, बैठते,
खाते, पीते और गाते-गाते
मेरी नज़र सब पर रहती
संस्कार-संस्कार की है बात
कोई जाता राम रटते-रटते
कोई दमड़ी गिनते- गिनते
कोई डर से भागते-भागते।।
तू बिल्ली है
मैं कुत्ता बनकर पीछे भागा
तूने दौड़ लगाई बचने को
तू आंख मूंदकर ऐसे भागी
सोचा भरमा दिया है मुझको
तू क्या जाने मेरी लीला
मैंने बन पहिया दबा दिया तुझको।
मुझसे कोई बच नहीं सकता
जब मेरी नज़र पड़े किसी पर
एक पक्षी को पंखों पर विश्वास
मैंने बन भतूला किया घात
एक सोते हुए पर पड़ी नजर
उसके लिए फिर ना हुई प्रभात।
जागे, सोते, उठते, बैठते,
खाते, पीते और गाते-गाते
मेरी नज़र सब पर रहती
संस्कार-संस्कार की है बात
कोई जाता राम रटते-रटते
कोई दमड़ी गिनते- गिनते
कोई डर से भागते-भागते।।
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