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Showing posts from April, 2020

जाना इरफान का

हच के छोटे रिचार्ज की तरह कितना छोटा रिचार्ज तू लाया रे तुरंत आई 'लव यू 'बोल गया हमें और सुनने का मौका दिया नहीं रे गमगीन है जयपुर, टोंक शोक-संतप्त सारा देश रे एक बार फिर से गाना धार पान सिंह तोमर का भेष रे।    खिराजे अकीदत

पूरी

सर्दी, गर्मी या फिर हो वर्षा सब मौसम में एक समान स्वादिष्ट लगती हैं पूरियां सर्दी में खीर,हलवा संग ले लो चार पूरियां सर्दी से बन जाएगी आपकी दूरियां सब मौसम में एक समान स्वादिष्ट लगती हैं पूरियां वर्षा ऋतु में महकने लगता है मिट्टी का कण-कण देख कर गिरती बूंदे कानों में बजने लगता संगीत छन- छन रसोई में आकर तल लेते हैं सनन-सनन चार पूरियां अचार या भाजी संग लगती लजीज पूरियां हर मौसम में एक समान स्वादिष्ट लगती हैं पूरियां गर्मी की ऋतु आई खाने की इच्छा पर भी बन आई ऐसे में यदि कोई तल दे चार पूरियां परोस‌ दे धनिया और पुदीना की चटनी संग पूरियां ऊपर से पिला दे दो गिलास रायता आने लगती है नींद की हिलोरियां हर मौसम में एक समान स्वादिष्ट लगती हैं पूरियां बांग्ला या गुज्जू उत्तर या दक्षिण सुदूर सबकी नजर में बराबर इसका वजूद सबको एक जैसी अजीज हैं पूरियां हर मौसम में एक समान स्वादिष्ट लगती हैं पूरियां

स्टीम कंप्रेसर वाले भाई साहब

प्रोजेक्ट स्टीम कंप्रेसर का शांत व सौम्य आइसक्रीम सा कॉल उठाने का अंदाज अलग उनका देते हैं संबोधन मोहन प्यारे का जिसमें मिठास है घी-शक्कर सा और लहजा चंडीगढ़ का बातों ही बातों में समझा दी बारीकी कंसल्टेंसी की दुनिया की लगा ऐसे जैसे हों सामने मुखातिब से थोड़ा सा भूगोल और थोड़ा सा विज्ञान समझा दिया खंभात की खाड़ी का‌ जो मेरे लिए सबब था गुणकारी सा जब हमने अपनी नौकरी वाली हरकत की उन्होंने दरियादिली बयां की अमीरों सी इतना ही था बातों का फलसफा तरोताजा कर गया बातों का यह सफर सुहाना सा पुनश्च:-अगले होंगें ग़ज़ल वाले भाई साहब या डेरी            वाले भाई साहब

यादों के घेरे

छूट गए वे गोरे - गोरे धोरे जिन पर बनी टापियों में बीते दिन सुनहरे           जहां-तहां           ठहरी नग्न पदचापें           पानी के छिड़काव वाली           ठंडाई फिर से ताकें यादों के झरोखे से ताकते आज भी वो चील झपटे के घेरे           भूले...           वह प्राकृतिक खेती           होती थी जो           गोबर खाद सेती रोहीड़े के पेड़ों पर वो रंगीले फूल और ऊपर ताकते वो बकरियों के चेहरे           रेत पर बनी           वो हसीन लकीरें           जो लिखती थी           सबकी उम्दा तकदीरें ऊंटों के टोले, देते थे हिचकोले जेहन में आज भी जिंदा हैं वो निराले फेरे

Lockdown lessons

Today had a long conversation with Anil Negi and refreshed in the mind the map of entire mumbai from north to south in this monotonous period of lockdown. Also knew their ration, milk, vegtable & fruit supply arrangement and its system of delivery to different societies in mumbai. Also asked about the Suyog Sheth and its central Mumbai position, Rajan Tamane, Kapil,Manish and he conveyed that all are hale and hearty. I connect with Anil Negi very well cause though he is modern but "deshi " to the core . That quality attracts me very well. When he talks about Ram Nagar orchards it feels as if i am there. Baat bahut dehati chhore ki tarah karta ha. Also asked about our batch dollar earners like Tushar and Anurag. I hope they both are safe with their families. Today was wholly devoted to covid talks to friends and in afternoon had sodium hypochlorite solution spray in office and GSS premises. The conversation and spray is a normal process but sharing every activity with

खामोशियां बुखार सी

मौन है मानव मन में खौफ लिए                     अजीब सा मानव के अस्तित्व को घोर खतरा बनकर कोरोना लील रहा                     अजगर सा गलियां लगती हैं जैसे कोई तंत्र हो अय्यारी का जिस पर पहरा हो आदमखोर सियार का खामोशियां तप रही है बनकर                              बुखार सा गायब है बसंत की तरुणाई ना त्योहार ना कोई ब्याह-सगाई रंग बिरंगी बसंत की छटा भी लगती है एक बेगानी शादी में अब्दुल्लाह                                   दीवाना सा घरों में कैद ये बच्चे सिर्फ खेल रहे ताश और कंचे कब खुलेगा इनका स्कूल रंग बिरंगी मछलियों का                               तालाब सा