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Showing posts from November, 2019

चलो मिल लेते हैं

चलो मिल लेते हैं एक बार फिर जब तक हैं हम थोड़े उपयोगी कल हो जाएंगे गंध हीन पारिजात धू ल झरे आंचल में भरने की फिर कोई भूल करे ना करे यह मनोरम रात फिर ना होगी। हमने अपने उद्यम से अ...

मेरा कॉलेज जीवन

जीवन की आपाधापी में चाहे कितना दूर चला जाऊं पांच बरस की अवधि पर ज़ी टी में 'रेक' जरूर आऊं थाई ,चाइनीजऔर कॉन्टिनेंटल चाहे कितनी भी बार खाऊं स्वाद रेक के राजमा - चावल का कभी ना मै...

थोड़ा अतीत में झांक लेते हैं

चलो थोड़ा अतीत में झांक लेते हैं क्वार्टर अगस्त 18 से नवंबर 17 की थोड़ी थाह लेते हैं दिल बागी का शेर सिरमोर एक बार फिर पढ़ लेते हैं "मोहब्बत की अजीब बेबसी देखी उसने तस्वीर तो जला...

गुदगुदाना

यूं तो गुदगुदाना होता है कोमल अंगों या भावनाओं का सहलाना मित्रों के खेमे में जब बात हो तब मुश्किल होता है इस शब्द को समझाना फिर भी एक कोशिश है पसंद आए तो बतलाना।          जब ...