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Showing posts from August, 2019

म्हारी बधाइयां अर म्हारी उम्मीद - मनमोहनसिंहजी री राज्यसभा सीट पर निरबिरोध जीत

थां नै घणी घणी बधाइयां देवै परदेश रा लोग नै लुगाइयां म्हे था नै निरबिरोध जीतायां हां मान सूं म्हे जाणां म्हानै बडभागी जदै थे आया अठै बडे चाव सूं अबै थे बिराजोला बडी पंचाट मा जठै बसै देश री आतमा एकै काम थे म्हारो करणै रो जतन करया म्हे बोहोत बरसां सूं जिके रै लैर पड़्या जे थे करस्यो म्हारी पैरवियां म्हे नाचांला पेहर पैंजणियां थां नै घणी घणी बधाइयां देवै परदेश रा लोग नै लुगाइयां म्हे छां दस किरोड़ राजस्थानी म्हे बोलां दूजां री बाणी म्हारा टाबर भूल्या म्हारी पिछाणी म्हे जाणां‌ म्हे हां पढ्योड़ा‌ सूवा जिका री भाषा है अणजाणी म्हे चौंतीस सांसद राज रा एकै पाछलै महाराज नै चुणै भेज्या है परदेस रै काज नै थां सगला मिल नै दिलाज्यो म्हारी राजस्थानी नै माणता जे थे करस्यो म्हारी पैरवियां म्हे नाचांला पेहर पैंजणियां थां नै घणी घणी बधाइयां देवै परदेश रा लोग नै लुगाइयां राजस्थान छै मोटो परदेस फेरूं भी म्हे माणस बेजुबान रा सूण्यो है नेपाल  देश है फूटरा दे राखीहै राजस्थानी नै बीं माणता अबकै मत चूक जा‌ज्यो थे म्हानै थास्यूं‌ है बडी उम्मीदड़्यां जे थे करस्यो म्हारी पैरवियां

रेशनल ग्रुप: प्रथम वर्षगांठ पर

अरे !रेशनल ग्रुप ना कभी तू रहना चुप जगोटा की जाग से बांगा की बांग से उठ जाया कर देबू से रोज फूल नए मंगाया कर अगर महसूस हो गम युद्धि, विशु ,देबू कर देंगे कम फिर भी यदि ना हो कम आलोक, खरीट ठोक देंगे खम भूवनेश की शायरी भर देगी जख्म मन चाहे कॉकटेल अनिल, अघी जानते हैं खेल फिर भी यदि ना मिटे भूख जस्सी भाई ना करेगा चूक सीखने हो दोस्ती के सुर सतीश ,विजय मोहन ,पुनीत अवि ,विनोद, दुग्गल ,कंसल दिलबागी ,अम्मी, शाही, पंत ,लखी नीरज, मिगलानी देंगे अच्छे गुर सीखनी हो चुप्पी आकाश, अमिताभ, धीमन राजू, दहिया, बहल ,टंडन राजेश भर देंगे तेरा मन बन ना हो क्रांतिकारी सुयोग ,तुषार ,अंजन ,थॉमस बिज्जू, बिजोयेश मिटा देंगे भ्रांति सारी सुननी हो गजल विशु कर देगा समां‌ सजल सुनना हो रेक का गीत सिंघानिया पालेगा पूरी प्रीत लगाने हो ठहाके खिलन ले जाएगा उठा के अगर कभी बढ़ जाए दर्द रातें हो जाये सर्द याद करना मुझको अजय की फैक्ट्री से उठा के लाऊंगा एक पत्थर अदद रख लेंगे छाती पर यही है जीवन का सबब

भैया मेरे

तुम्हारा पवित्र स्नेह है सूर्य की लालिमा में रोज देखा करती हूं नाश्ते के पहले कोर के स्वाद में रोज अपना बचपन महसूस करती हूं दोपहर के सूर्य के तपते तेज में रोज तेरा ही अक्स देखती हूं शाम को चंद्रमा की चांदनी में तेरे लिए मां के निर्मल आंचल सा सुकून तलासती हूं रक्षाबंधन को कोई बंधन ना समझना कभी यह उस पवित्रता का नाम है जिसे मैं हर भाई-बहन के पवित्र स्नेह में अनुभव करती हूं देना कुछ है तो लौटा दे मेरा तेरे साथ गुजरा बचपन कभी बाकी दुनिया तो अब जान ली है मैंने सभी।

मां है ना

वैसे तो अभी वक्त नहीं है तथ्य और पथ्य जानने का कुनबा तेरा सशक्त नहीं मोल है उसका आने का एक बात शाश्वत है जोखिम तभी लो जब हो कुछ पाने का तपे हुए सोने पर से विश्वास ना कभी डिगाने का नतीजे जो भी हो सीख मिलेगी बढ़ने को खुश किस्मत होते हैं वो घर जहां मां के हाथ कुंजी है तुम्हारी समझ को सलाम बस यही तुम्हारी पूंजी है।

चुप्पी

चुप्पी के कई अर्थ हैं चुप्पी ना कभी व्यर्थ है चुप्पी हो कश्मीर में दुनिया चिंतन करती है पाक हल्ला करता है किंकर्तव्यविमूढ़ बनता है गुंडे की तरह रेल बंद, व्यापार छोड़ देता है चुप्पी हो अगर मोदी की मुद्रा व्यर्थ होनी है या कश्मीर शांत होनी है चुप्पी हो अमेरिका में दुनिया चैन से सोती है चुप्पी हो रूस में वह मजबूती प्राप्त करता है चुप्पी हो चीन-कोरिया में सतर्क रहने की जरूरत है चुप्पी हो भुवनेश, जैन की ब्यूरोक्रेसी में सब ठीक है चुप्पी हो विशू की मतलब चंडीगढ़ में चैन है चुप्पी देबू ,अघी की मतलब खाने पीने गए हैं चुप्पी अभिजीत की मतलब कुछ सृजन चालू है चुप्पी सतीश पांडे की बेंगलुरु में जाम नहीं चुप्पी है विक्की की एनसीआर में सब ठीक है चुप्पी सुयोग सेठ की एमएनसी में राहत है चुप्पी अंजन डे की क्रांतिकारी खुश हैं चुप्पी हो मेरी समझ बात इसमें भी है कुछ तेरी।।

अनुच्छेद 370 का अंत

पांच अगस्त दो हजार उन्नीस सरकार वही काम उत्साही भारत जनमानस की आशा पूरित भयी बेहतरीन तैयारी सब पर भारी मिट गया नासूर घाटी की फिजा में आया नया शुरूर आतंक का मगर सदमे में आंसू दिखाए किसे जो थी आवाज वह पड़े थे घिसे अब खिसियानी बिल्ली खंबा नोचे नया इतिहास नया नक्शा एक हुआ झंडा एक सा डण्डा नए निवेश की खुल गयी राह अब कश्मीरी लौटेंगे अपने पुरातन गृह नये चिराग नये छिनार करें सुविचार एक स्वर में बोलें धन्य हो भारत सरकार।।