इलेक्ट्रिकल वाले आर के अरोड़ा साहब
हल्की फुलकी जिंदगी सा एक ख्वाब
आम और होशियार दोनों तरह के लिए समान थे
मेजरमेंट और इंस्ट्रूमेंटेशन के सरल नोट्स देते थे
लेक्चर के बीच बीच में हल्का मजाक करते थे
प्रोफेसर के रोब - दाब से कोसों दूर रहते थे
जो भी कहते साफ दिल और नेक नियत से कहते थे
मेजरमेंट पढा कर भी स्वयं की उम्र कम" मेजर" की
कल हम से जुदा होकर, दुख भरी हमें सजा दी
73 साल की उम्र में, करनाल से विदा ली
विधि का विधान है पर हम बहुत उदास हैं
ईश्वर से विनती है आप हमेशा प्रभु चरण के पास हों
रेक के दिनों की तरह आप जहां भी हों
हमेशा प्रसन्नता और उदारता के साथ हों।
अगस्त 84 एडमिशन ,रैगिंग हुई भरपूर, अभिमन्यु भवन तीर्थ था ,आस्था थी भरपूर। खिचाई तो बहाना था ,नई दोस्ती का तराना था, कुछ पहेलियों के बाद ,खोका एक ठिकाना था । भट्टू ,रंगा ,पिंटू ,निझावन ,मलिक ,राठी , सांगवान और शौकीन इतने रोज पके थे, रॉकी ,छिकारा ,राठी ,लूम्बा भी अक्सर मौजूद होतेथे । मेस में जिस दिन फ्रूट क्रीम होती थी, उस दिन हमें इनविटेशन पक्की थी। वह डोंगा भर - भर फ्रूट क्रीम मंगवाना, फिर ठूंस ठूंस के खिलाना बहुत कुछ अनजाना था, अब लगता है वह हकीकत थी या कोई फसाना था ।। उधर होस्टल 4 के वीरेश भावरा, मिश्रा, आनंद मोहन सरीखे दोस्त भी बहुमूल्य थे , इनकी राय हमारे लिए डूंगर से ऊंचे अजूबे थे। दो-तीन महीने बाद हमने अपना होश संभाला, महेश ,प्रदीप ,विनोद और कानोडिया का संग पाला । फर्स्ट सेमेस्टर में स्मिथी शॉप मे डिटेंशन आला ।। हमें वो दिन याद हैं जब नाहल, नवनीत,विशु शॉप वालों से ही जॉब करवाने मे माहिर थे , तभी से हमें लगा ये दोस्ती के बहुत काबिल थे । थर्ड सेम में आकाश दीवान की ड्राइंग खूब भायी थी, इसीलिए ला ला कर के खूब टोपो पायी थी। परीक्षा की बारी आई तो
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