रेगिस्तान की पावन धरा पर चुनावी रेलमपेल, कोई दिखावे झूठे सपने ,कोई बोले राफेल। मीडिया भी उधर चले, जिधर दिखे तेल, जनता भी खूब समझे यह मदारी का खेल। रेगिस्तान की पावन धरा पर चुनावी रेलमपेल।। बड़ा मुद्दा है बेरोजगारी, उस पर महंगाई और सुरक्षा, इनका पूरा होना है बड़ी परीक्षा। मुद्दों से भागने का ढूंढा एक सलीका, घसीटो गांधी -नेहरू को यह है आसान तरीका। सत्ता के दावेदारों समझो जनता है बेहाल, ऐसे बोल- बोल के सता पाओगे तो ना होगे निहाल। अभी भी वक्त है कर लो मुद्दों से मेल, रेगिस्तान की पावन धरा पर चुनावी रेलमपेल।। व्यक्तिगत आक्षेपों से जनता आई आजीज, लोकतंत्र में हर मुद्दे पर चर्चा हो सटीक। असहिष्णुता को मिले ना कोई भाव, चारों तरफ हो बस सद्भाव का चाव। जनता तरक्की करे तुम्हें मिले सम्मान, वरना सबका अब हो जायेगा अवसान। मिलेगा कुछ नहीं बस, पांच साल बाद फिर वही चुनावी रेलमपेल।।