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मां की महक

घर सुना,काया सुनी, सुना लगे जहान। मां नाम ममता,करूणा, आशीष और आंचल परवाण। खुद  सूख  सींचे परिवार, उसको  कोटि नमस्कार। विपत्ती में सिर्फ शान्त रह देवे धैर्य की सीख, अन्तिम सांस तक नसीहतें दे ऐसी मां को सलाम। बच्चे चाहे कैसे भी हों वो पेश करे उन्हें महान, लोगों में ऐसे बताये जैसे वो हों कोई सुल्तान। बच्चों के सारे गुनाह ढकले ऐसी मां को सलाम। अगर बच्चे लड़े तो बीच खड़ी हो जैसे हो आस्था की  दीवार । उसका हर शब्द बनता  जैसे एक दृढ लकीर। जब वो गुस्सा हो रोटी ना खाये, तो सारे घर में खामोशी छा जाये, शाम को पूछें क्या हुआ तो बोले बस थोड़ी तबियत खराब। फिर वापस सबको खिला - पिला खुश हो जाए ऐसी मां को सलाम । खुद को  जब यमदूत बुलाऐ तो भी बुझती निगाहें  आशिशें दे और ऐसे जताये जैसे कोई जंग जीती हो। त्याग , समर्पण है जिसका नाम, ऐसी मां को सलाम।।        In loving memory of  a great Warrier till the last breath and a great mom who lived her life to her own terms and principles inspite of all odds.  ...

हौंसला बग्गा का, जज्बा 84 का

6 माह पहले चर्चा हुई बग्गा की बीमारी की, खबर सुन लगा जैसे लपटें हो आग की । आग फैलते देख रेक 84 सक्रिय हुआ जैसे सुपर दमकल हो, कुछ अंबाली, कुछ करनाली, कुछ कुरुकी आगे आए ,  उधर संगीता ने कुछ ललकारा दिल्ली से, भुवनेश ,केपी और कुछ नोएडा वाले बोले यूपी से , कुछ मनीष ने चक्र चलाया और हुंकार भरी माया नगरी से। देखते देखते रास्ता खुलता गया तसल्ली से, सारे टेस्ट और पटकथा तैयार हुई चंडीगढ़ से आखिर हौसला और जज्बा पहुंचा अब मुकाम पे । सुना था पत्नी नाम है त्याग का  परंतु इसको प्रत्यक्ष साबित किया वंदना ने । दान नाम ही मुश्किल है और ऊपर से अंग दान, जहां झुरझुरी चलती इंजेक्शन के नाम से, ऐसे मैं भी पत्नी किडनी देती शान से। इस मिशन की सफलता को सलाम जी जान से, धन्य वंदना ,धन्य बग्गा ,धन्य 84  इस भाईजान से। यों  ग्रुप में भले लड़ें जैसे बच्चे हों नर्सरी के, थोड़ा मैट्रिक हो जाते हैं स्पेलिंग की बात पर, पर जब बात जिम्मेदारी की आई हम मेच्योर  दिखे दीवान से। भगवान करे बग्गा के नाम से बना यह मिशन काम करे कई और महान से, और बग्गा परिवार फिर से झुम्मे बड़ी शान से। कप...

Beautiful 9th March

Impressive writings, Great statesmanship, Along with the today's vicious politics. You have magic wand to deal with all, Sometimes against the time and tide. Impressed by that qualities of yours, I decided  to come out of my nest And hear you at JLF18 at Diggi Palace, That is precious in my inner space. Wish you see again at JLF19 And in parliament again in the 19. To read healthy books, And hear healthy debates , Which are  rare these days.      Happy birthday Shashi Tharoor  Sir      Pic courtesy -net                        Mohan RJ I want to convey my special thanks to Mr Deepak Rana for  reminding the B'day date through his superfragilistic...... Fb post and earlier Encouraging to hear debates.

Vishu is Vishu

Tall handsome personality Always ahead in expressions A good knowledge of  Gk & Geo Gazals you like the most Tourism is your another post In college made me proud Now in this middle you are guide That a tiny birthday post Hope next time it will be the best. Happy birthday Vishu.                          Mohan RJ

HBD Rajeev Nijhawan

Rajiv Nijhawan,Rajiv Nijhawan, Always dressed fine, dressed fine. Sporty nature and Jolly mind, Always kind ,always kind. During college been a guide, To  swim me against the tide. Soni,Gupta - circuit theory, M. I. Of AK Sawhney, even  today are with mine. Inspired by your Malviya Nagar, I bought a nest nearby in Pratap Nagar. In the hope of meeting there, I spent  10 long years there. I still cherish the memories Of those high dosage of ice- cream And full " Pateela" fruit - creams. Wish to enjoy that again , Before my teeth go in vain. Thirty years have passed by, You have become an NRI. Still Facebook connects us, as an Illusion of face to face. You  make naughty comments Like I am "chela " of you& Ranga, I want to advise again sir Don't take such kind of "panga". Wishing happy birthday Mr Nijhawan. With tons of cake and a carat wine. With tons of cake and a carat wine.

पत्ते की उड़ान

घाटी रूपी इस भवसागर में, जीवन एक  छोटा पत्ता है एक दिन पत्ते ने पेड़ छोड़ा सुखद उड़ान की आस में, लेकिन उसे पता न था उड़ान के फेर में कितनी बार गिरना है, वह गिरा फिर उठा उठ कर फिर गिरा इस गिर -उठ  गिर -उठ के फेर में, ना जाने कितनी ठोकर खाई कुछ ठोकर इतनी उम्दा थी, जिससे पत्ते ने नई आकृति पाई आकृति के इस दौर में उसको एक नई डोर मिली। डोर पाकर पता इतराया उसने खुद को पतंग पाया, अब उसने आकाश में रंग दिखाया अपने  साथ रंगीन कोने  बंधे, एक दिन तूफान में डोर टूटी, पतंग छूटा अब पतंग फिर पत्ता बना, फिर यह अभिलाषा की, कि  नए पत्ते के लिए  खाद बनूं पत्ते कि जब उड़ान इतनी है तो फिर यह अभिलाषा क्यों? तो फिर यह अभिलाषा क्यों?                                      मोहन

देबु  दा मोन कोरता है ....

देबु  दा मोन कोरता है .... जितने लोग बर्थडे मैसेज भेजें उतने मैं शब्द  तो  लिखूं, जितना तू खुश रहता है उतनी बर्थ डे दुआएं भेजूं, जितने दिन तू दूर है कम से कम उतने सेकंड मैं साथ बिताऊं। देबु  दा मोन कोरता है .... जितने तेरे दोस्त हैं उतने मैं कुल  लोग तो जानू, जितनी तुमने बंगाली मिठाइयां खाई उतनी मिठाइयों के नाम तो जानू, जितनी तूने दारू पीयी उतनी मैं कोल्ड ड्रिंक तो पीऊं। देबु  दा मोन कोरता है .... जितने तूने आईलैंड देखे उतने मैं गांव तो देखूं, जितने तूने कैक्टस लगाए उतनी में फुलवारी तो लगाऊं, जितने तूने अखबार पढ़े उतने मैं समाचार तो पढ़ूं, जितनी राजनीतिक टिप्पणियां भेजी उतनी कुल टिप्पणियां तो देखूं। देबु  दा मोन कोरता है .... आज सारी दुआएं दे दूं हैप्पी बर्थडे  देबु  दा।।