Skip to main content

Posts

Showing posts from February, 2025

कवि का कारवां

यह कुछ ऐसा ही ‌है  जैसे घी तोलते  घी पी लेते हैं हाथ साथ रहते - रहते बन जाती है बात।  जैसे पतझड़ में अनयास  पतों की बरसात बरसात में भीगकर आती गर्माहट की बात।  जैसे अंधेरे में रहते अनपढ़ के उद्गार अक्षर के प्रकाश से  खोल देते नये द्वार।। हां यह कुछ ऐसा ही ‌है  जैसे पढ़ते - पढ़ते कोई किताब याद आती लेखक की बात बात से ही निकलती बात पूछ बैठते खुद से ही औकात।  यह कुछ ऐसा ही ‌है  जब पढ़ते हैं हम कोई तहरीर  खुद को भी देखते हैं उस जहां  करने लगते हैं खुद से बातें  शायद यही है कवि का कारवां।।

Actions

Our action is reciprocated By an nonspeaking child By a book we read By a stone we worship By everything of this world Be true to our actions  

जो कोशिश करता मंजिल पाता

KBC के श्रोताओं में से जिसे नाम से जानते बासठ प्रतिशत  मेरा फोटो उसके साथ वाह! कितनी गजब है बात। चोबीस में थोड़ी हुई मुलाकात  पच्चीस के शुरू में छा गया तात कुछ लोग रूपये की करते बात असली सोना तो है औकात। सदा सरल और सादगी को हमेशा रखता अपने साथ ब्यूरोक्रेसी से ज्यादा गणित पर आज भी आजमाता हाथ। शेर-ओ-शायरी और गजल टूट पड़े जो मिले पजल(Puzzle) रहता मिलकर सबके साथ  नखरे वालों से तंग है हाथ।।

कमसिन

यह तेरा दिल,यह मेरा दिल यह दिल बहुत हसीन है उम्र के तराजू मत तोलना प्यार हमेशा कमसिन है।

हाइकु रिटायर्ड के लिए

हे स्वर्ण केशी लम्बे सफ़र पर शुरू है पेशी।  भजले राम सरकारी दफ्तर से  निपटा काम।  सेवा पेंशन सम्मान से मिलता अच्छा राशन।  आये धुंधल  उससे पहले ही  देख काबिल।  जीवन तेरा जो औरों ने सराहा घर में हारा।

एक परी आए

रात में श्वेत सुंदर एक परी आए मुझको आकाश की सैर कराए। चांद तारों को छूकर बताए कहानी इनकी मुझको बताए। मनुज का अगला घर दिखाए खाने-पीने का सामान बताए। फुर्सत के पलों के श्रृंगार दिखाए इन पलों का हिसाब ना लगाए। गाना गाकर वापस छोड़ कर जाए फूलों सा मेरा मन महकाए काश!काश! यह जल्द हो जाए।।

Retirement Diary

First view from my room balcony on First floor of my house. A mixture of Enjoying & Missing  मैं बाद में घर पहुंचा पहले घर पहुंचा मेरा  पेंशन पेमेंट आदेश  देखकर‌ दिल खुश हुआ दिल ने दी आशिष। ब्रेकर लगाने की तरह RVPN तेरी तत्पर सेवा धूप, छांव , बरसात की ड्यूटी का यों मिला है मेवा। घर मेरा लगता है  जैसे बगीचे में है बसा ब्रेकर लगने की तोप सलामी  और ट्रांसफॉर्मर के हमिंग को मन आज बहुत तरसा।।      🙏🙏🙏🙏

सुबह भ्रमण

फरवरी आ गई है और अब सुबह का टहलने जाना आसान बनने लगा है। हालासर नियुक्ति के दिनों में बुकलसर रोड पर घूमने जाना अपने आप में एक औषधि थी क्योंकि इन दिनों खेतों में सड़क के दोनों ओर  सरसों के पीले फूल और उन पर गुनगुनाते भौंरे और सिंचाई के फव्वारों की रिमझिम किसी थेरेपी जैसा ऊर्जावान बना देता था  और यह हर रोज होता था। उस सड़क पर भेड़ों के ऐवड़ में गधे पर लदी पानी की छागल(लोटड़ी), प्राकृतिक खाद से भरी बैलगाड़ी और ऊंट गाड़ी  और ट्रैक्टर पर जोर से बजते तेजाजी के गीत अपने आप ही भ्रमण की लय और गति को बढा देते थे। हिरणों के झुंड का सरपट दौड़ लगाते हुए सड़क पार करना स्वत: ही जोगिंग के लिए प्रेरित करता था, तात्पर्य यह है कि प्रकृति स्वयं प्रेरणा थी। श्रवण हुड्डा जी अक्सर ही खींचकर अपने खेत की मेड़ पर ले‌ जाकर खेत की फसल को दिखाते थे ।वापस आकर एक गिलास असली गुनगुने दूध का सेवन इस भ्रमण को पूरा करता था। प्रकृति की देन मनुष्य को प्रकृति ही पुष्ट करती है। प्रकृति सूर्योदय से पहले जाग जाती है और प्रकृति के समीप रहने वाले को यह अवसर स्वाभाविक ही मिलता है । शहरों में जहां भी पेड़ पौधे हैं ...

सच्चे प्यार सवेरा

हीरा‌ सा दिल देखकर निकले इश्क मेरा उम्र ढलती शाम है  सच्चे प्यार सवेरा।।

एक अपोस्ट्रोफी

मैंने चूम ली वह तस्वीर जो थी कप एक कॉफी  मुझे ' चुम्बन दिवस ' पर  वह तस्वीर लगी एक ट्रॉफी सामने वह नहीं ना कभी होगी  नज़रों में बसी उसकी तस्वीर  मेरे वाक्यों को बना रही उसका जैसे बना लेती है एक 'अपोस्ट्रोफी'।

' हग डे '

मधुमास की हरियाली  और फूलों की महक मुझको भूली है वह याद कर रहा नाहक। अपना‌-अपना‌ नसीब किसी को मिले दर्द ओ बेदर्दी के सबब और किसी को 'हग'। भावनाओं को उजागर करना देख मकाम तीर निशाने ना लगे  तो बड़े बुरे हैं अंज़ाम।।