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Showing posts from March, 2022

Changes surprise

Time flies by but New horizons arise Beauty is that changes take us by surprise

थोड़ा अध्यात्म

गीता‌ है कहानी कृष्ण की जुबानी सुनो ज्ञानी और विज्ञानी करो कर्मफल की कुर्बानी मिटेगी कर्मों की निशानी छूटेगी डगर आनी-जानी झूठी दुनिया की भरमानी सब कुछ 'है' में समानी।।

राजदार

इतने बंधनों में जकड़े हैं‍ हम भूल चुके ‌हैं‌ खुद के ग़म त्योहारों में अब कहां सरगम बे जुबां‌ से हो गये हैं ‌हम।  बस राजदार अपना यह मोबाइल चलो इसे बता दो अपने मसाइल महसूस करेंगे तुम्हें उन लफ़्ज़ों में बंद जो हैं फर्ज ओ लाज के कब्जों में।।

मेरा रेगिस्तान

अब मेरा रेगिस्तान बदल रहा है बाजरे से लेकर खजूर तक उगल रहा है।  खेतों में डेयरी फार्म है ट्यूब वेलों की कल-कल है बिछी हुई है पाइप कहीं कहीं फव्वारों से बरसात है छाज की जरूरत नहीं, थ्रेसर घर्र-घर्र कर रहा है।  खेती के लिए ट्रैक्टर पिकअप सामान ढोने को चढ़ने को अब बोलेरो मोटरसाइकिल घूमे छोरो खेत -खेत तारबंदी, हर राह पर गेट लग रहा है।  जहां बाजरा होता था वहां सरसों पसर रहा है तिल वाले धोरों को इसबगोल ढक रहा है कहीं झड़ बेरी की इस धरती पर, खजूर का पेड़ मुस्कुरा रहा है।  गया था बेर खाने हरे चने  देख जी ललचाया देख कर यह नजारा बचपन फिर से अन्दर लौट आया बिजली - पानी का मेल यह, किसान को सशक्त कर रहा है। अब मेरा रेगिस्तान बदल रहा है।।

भारत की आत्मा

भारत की आत्मा गांवों में बसती है यहां झूठ महंगी और सच्चाई सस्ती है।  खाने में अवयव कम है पर जितने भी हैं उन में दम है दिखावा कम है बातों में वजन है तभी युवा पीढ़ी आज भी बुजुर्गों के आगे झुकती है।  घरों में बातें कम होती है काम ज्यादा होता है आने - जाने वाले का आदर होता है भूखे को खाना प्यासे को पानी मिलता है चौपालों पर आज भी रौनक रहती है।  बात की पकड़ अभी बची हुई है युवाओं का भरोसा बुजुर्गों के अनुभव पर कायम है युवाओं में फिक्र कम कुछ कर गुजरने का दम है तभी तो सामूहिक परिवार गांव की बपौती है।  त्योहार मात्र औपचारिकता नहीं बहन - बेटी के घर आने का अवसर है मिल बैठकर खाने और हंसी खेल की चौसर है। रिश्तों पर विश्वास की एक कसौटी है।।  होली हो तो रंग - गुलाल से ज्यादा नाच - गान पर विश्वास है नए-नए स्वांग देखकर हृदय में भरता उल्लास है पीते  हैं मद तो भी आंखों में  कान्हा की रास बसती‌ है।