चानू ने चांदी दिलाई पुरानी कहावत जुबां पर आई "आज चांदी हो गई।" अब सोने पर नजरें टिक गई टोक्यो में हमारे "तमगों की पेट्टी खुल गई" तीर , तलवार , भाला,शूटिंग सबकी धार तेज हो गई आगाज की ही बात होती है वरना हर दिन के बाद रात होती है।
कभी शायरों की महफिल में आकर तो देखो रंजो गम के दरिया में भावनाओं की नाव को दरिया के उस पार बैठी दुल्हन के घूंघट को नजरों को नजाकत से उठाते हुए तो देखो।।
अब मैं उन हवाओं का सौदागर हूं जो बीते मौसम साथ लाती हैं घर ,खेत, बाग-बगीचे तो क्या अब बाजारों की रौनकें भी रास नहीं आती हैं तुझसे बिछड़ कर ही यह जाना नजदीकियां कितना दुख पहुंचाती हैं दिन की रोशनी अब तेरा अक्स नहीं रातें भी डायन बन कर बहुत डराती हैं भूल गए दुनिया वाले तेरी जो बातें मुझे वो ही बातें हर पल याद आती हैं।।