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Showing posts from July, 2021

चानू ने चांदी दिलाई

चानू ने चांदी दिलाई पुरानी‌‌ कहावत जुबां पर आई "आज चांदी हो गई।" अब सोने पर नजरें टिक गई टोक्यो में हमारे "तमगों की पेट्टी खुल गई" तीर , तलवार , भाला,शूटिंग सबकी धार तेज हो‌ गई आगाज की ही बात होती है वरना‌ हर‌ दिन के बाद रात होती है।

शायरों की महफिल

कभी शायरों की महफिल में आकर तो देखो रंजो गम के दरिया में भावनाओं की नाव को दरिया के उस पार बैठी दुल्हन के घूंघट को नजरों को नजाकत से उठाते हुए तो देखो।।

सौदागर

अब मैं उन हवाओं का सौदागर हूं जो बीते मौसम साथ लाती हैं घर ,खेत, बाग-बगीचे तो क्या अब बाजारों की रौनकें भी रास नहीं आती हैं तुझसे बिछड़ कर ही यह जाना नजदीकियां कितना दुख पहुंचाती हैं दिन की रोशनी अब तेरा अक्स नहीं रातें भी डायन बन‌ कर बहुत डराती‌ हैं भूल गए दुनिया वाले तेरी जो बातें  मुझे वो ही बातें हर पल याद आती हैं।।

दास्तान-ए-शायरी

लिखना तो एक सफर है जिसमें पब्लीशर हमराही हैं मिलकर चलते- चलते जिस मोड़ पर शब्द लिपटते सुनहरी स्याही हैं तब जाकर दास्तान कोई बनती सुन्दर व स्थाई है।