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Showing posts from September, 2019

८४ का ओजस्वी मूछों वाला

राजेश है बिजली वाला जिसका फोन एक रिंग में उठता है मेरी भी धारणा यही बन गई शायद रिंग में भी मीटर चलता है राजेश कैथल से आता है जो मेरे रास्ते में पड़ता है ज्यादा कुछ बोल नहीं सक...

एक अभियंता

अभियंता का चिंतन ड्राइंग पर आता ड्राइंग से डिजाइन बनाता डिजाइन जब फील्ड पर आती इसमें मानवता की कड़ी जुड़ती यहीं से अभियंता की प्राथमिकताएं शुरू होती। अभियंता एक सच्चा ...

हिन्दी

'ह' से है रंग हरा 'ह' से हैं सब हर्षित 'ह' का ही होता चिंतन 'ह' से ही है ये जीवन आधे' न' से चार ज्ञानेंद्रियां नाक, कान, आंख और रसना ऐसी ही है हमारी रचना 'द' में भाव है देने का 'द' ही प्रतीक है द...

4 वर्ष

जब बादल गरजें उमड़ - घुमड़ बरसात में लगता है तुम्हीं हो जब दोस्त मिले और चेहरे खिलें उस मिलाप की उमंग तुम्हीं हो जब किसी बुजुर्ग को सहारा कोई नौजवान दे उस सहारे की प्रेरणा ल...