होली पर चारों ओर चंग हैं गीतों में जवानी की तरंग है बुढा या जवान हर कोई नवरंग है मौसम में भरी अद्भुत उमंग है यह तो जाम है जो आज भी अपने ही आयाम है चांद भी पूरा है तारों की चमक में तारिकायें लग रही स्वर्ण घट की सुरा हैं ऐसे में होली तो बस बहाना है यह योवन की कुश्ती नूरा है यह तो जाम है जो आज भी देता सही पयाम है कई हृदय तंग हैं बाहर उमंग, भीतर एक जंग है जीवन बदरंग है सिर्फ सपनों में ही रंग है यह तो होली का जाम है जहां आशा कायम है