रोज साझा करते हैं बातें भौतिकता वाली चलो आज एक दिन करें बातें कर्मों के सार वाली। जब - जब मिलते हैं और जो - जो मिलते हैं बातें सिर्फ करते हैं 'मैं' हूं वाली गीत...
बोर्डर कहता मुझ पर कभी ठहरना मत वरना होगा विप्लव घर के बॉर्डर नजरें जो ठहरे तब पड़ोसियों में उपद्रव। देश के बोर्डर सेना टिके तब मानवता घुटने टेके राजधानी बॉर्डर किसान ड...
सरकारें आती हैं सब्सिडी, लोन, बिजली से भरमाती हैं कर्ज के परिणामों से अनभिज्ञ! किसान हंसता है कुछ नकली हंसी कुछ राहत की मदहोशी यह देख सरकार पैंतरा बदलती है अना...
मेरा बचपन सीधा था बीता गोरे धोरों में। सूरज उगते खेत पहुंचते घर आते थे तारों में खेतों में मोर-पपीहे बोलते पशु चरते थे कतारों में घरवालों से खूब डरता ...
उतार आए हैं सिर से सारे ही बोझ बैठे हैं सीमा पर चाहे पुलिस आये या फौज। कभी मौसम ने लूटा कभी महामारी हम सहते रहे सारी दुश्वारी दु:खों की कतार हमने दे...