जीवन की खुशफहमी यह है कि जब ऊर्जा होती है तब वास्तव में समझ नहीं होती और लगता है मैं सब जानता हूं। फिर जब समझ नायाब बन जाती है और लगता है कि मैं सब कुछ कर सकता हूं तब वास्तव में पर्याप्त ऊर्जा नहीं होती है। यानी कि जब वक्त होता है तब उसका मूल्य ज्ञात नहीं होता और जब मूल्य समझ में आता है तब तक वक्त निकल जाता है यही जीवन का द्वंद्व है जिसको समझना अपूर्ण ही रहता है।