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Showing posts from January, 2020

जीवन की खुशफहमी

जीवन की खुशफहमी यह है कि जब ऊर्जा होती है तब वास्तव में समझ नहीं होती और लगता है मैं सब जानता हूं। फिर जब समझ नायाब बन जाती है और लगता है कि मैं सब कुछ कर सकता हूं तब वास्तव में पर्याप्त ऊर्जा नहीं होती है। यानी कि जब वक्त होता है तब उसका मूल्य ज्ञात नहीं होता और जब मूल्य समझ में आता है तब तक वक्त निकल जाता है यही जीवन का द्वंद्व है जिसको समझना अपूर्ण ही रहता है।

संदली संगत

दोस्त जिंदगी की किताब के खूबसूरत पन्ने हैं जो बेमिसाल रंगों से रंगे हैं कई फूलों से प्रत्यक्ष चमकीले हैं कई अंदर से रंगीले हैं कई तो ऐसे भेजते हैं संदेश जैसे उन्होंने धर लिया हो मधुकर का भेष कुछ ऐसे होते हैं बिंदास शायद उनके आंचल नहीं होते कभी उदास ऐसे प्यारे दोस्तों ने अपनी बधाइयों से आज भी यह दिन बनाया है खास जिससे इस सर्द मौसम में भी गर्माहट का हुआ पूरे दिन एहसास अब 55 का हृदय हुआ बालों में सोना उगा फिजां भी है बदली- बदली बस एक दोस्त ही हैं जो अब भी बातें करते हैं संदली-संदली

My Status

My hairs are grey This is aging effect I keep them black by regular dyeing This keeps me in a perfect fray This is spares me of seniors respect But earns me youngers status And brings me in working mode But It gives me feeling of reality exodus

मेरी उलझन

दिन बीतते हैं गालों के उजाले की तपन के ख्वाब में रात बीतती है केशों की अंधेरी छांव के स्वप्न में मन को हम सदा तेरे लिए करते हैं साफ चाहे जमाना रूठे या कर दे मुझे माफ तुझे खिलता देखें जैसे नभ में तारे इसी से दूर होते हैं कष्ट मेरे सारे अनोखी बात है तेरे प्रेम बंधन में उलझ कर भी मगन रहते हैं इस बहके चमन में हमें तो आंसूओं से सींचना है पथ तेरे आगमन का यही तो इलाज है मेरी इस उलझन का।

अनुराग

जब आंख किसी से लगती है तब आंख में छवि उसी की बसती है बातें सारी उसकी कानों में गूंजती है खिलखिलाहट हरदम सुनाई देती है अनुराग की आग दिल में ऐसी दहकती है सारे दरिया उसे मिटाने में असमर्थ होते हैं किसी को कही नहीं जाती मनोदशा क्योंकि पशोपेश में ऐसे फंसा मन नहीं रहता खुद के पास तन नहीं जा पाता उसके पास नींद अब आती नहीं पल भर बस प्यास बन जाती है नींद हर।