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Showing posts from May, 2019

तंबाकू की फांस

तंबाकू धीमी हत्यारी है इसकी नहीं किसी से यारी है चिलम पीने से सबसे पहले चिलम की साफी भूरी होती है फिर पीने वालों की हथेली भूरी होती है अंत में फेफड़ों की चूरी होती है शरीर में दुर्गंध आने लगती है बुढ़ापे में सांस नहीं आती है बुरी खांसी उठती है खांसते-खांसते मरना पड़ता है घर वाले भी कमरा अलग कर देते हैं जो हमेशा बलगम से भरा रहता है जो तंबाकू चबाते हैं वे सारा दिन थूकते रहते हैं सारा दिन हथेली गंदी रखते हैं घर और सार्वजनिक दीवारों को गंदी करते हैं दूसरों के तिरस्कार का शिकार बनते हैं अंत में अपने ही जबड़े दांत और मुंह की त्वचा गंवा बैठते हैं जो लोग तंबाकू सूंघते हैं वह हमेशा नाक में अंगुली रखते हैं सारा दिन छींकते रहते हैं अपनी नाक काली कर लेते हैं बुढ़ापे में छींकते- छींकते मरते हैं उपरोक्त तीनों प्रकार के तंबाकू नशेड़ी दूसरे लोगों को निष्क्रिय नशेड़ी बनाते हैं तंबाकू की फैक्ट्री में काम करने वालों का जीवन भी हर लेते हैं तंबाकू छोड़ना ही बुद्धिमानी है इसको ना छूने की कसम खानी है खुद के साथ आने वाली पीढी भी बचानी है।

जीवन की अमीरी

एक देहातिन अपनी दस साल की बच्ची संग बाजार में आती है पैरों में जीर्ण शीर्ण हवाई चप्पल तन पर देहाती घाघरा लुगड़ी दोपहर की सुलगती धूप तापमान पतालिस डिग्री पार इस सबकी परवाह किए बगैर दोनों सड़क पर पैदल चल रही हैं रास्ते में एक हलवाई की दुकान देख बाल मन ललचाता है मां उस के मन की बात समझ जाती है अपनी गरीबी की चिंता किए बगैर उसे दस रूपये की कचोरी दिलाती है बच्ची कचोरी हाथ में ले गर्व से चल पड़ती है चलते चलते खाने लगती है बाल मन ऐसा ही होता है जगह नहीं देखता है बस कहीं भी मन की मुराद पूरी कर लेता है यही वह बात है जो रिश्तो की ऊंचाई को बताती है माता-पिता को बच्चों का भगवान बनाती है इसलिए शायद भगवान की भी कृपा रहती है क्योंकि जिस गर्मी में हम तेल की बनी वस्तुओं से किनारा करते हैं वही मां के सद्भावना से खिलाने पर शायद स्वास्थ्य को नुकसान नहीं पहुंचा पाती है रुपए पैसे गहने वस्त्र शायद कुछ नहीं हैं सिर्फ मां है तो सब कुछ हैं सर्दी गर्मी वर्षा मां के आंचल को कभी भेद नहीं पाई हैं क्योंकि मां के प्यार में कोई मिलावट नहीं है उसमें कोई गरीबी नहीं है सिर्फ ममता की अमीरी ह

इक चीते री शादी री सालगिरह

जज्बात तो जज्बात होते हैं इन पर हमारा नियंत्रण नहीं गर हो जाए कोई हमसे चूक तो तुम देना गुस्सा थूक आज एक चीते की शादी की सालगिरह है उस को" विश "करने की चुनौती है है चिता यह बड़ा अलबेला जिसकी नहीं है अन्य मिसाल कद में यह है पांच फुटिया पर बोली से मचाता है धमाल दुनिया की कोई ऐसी चीज नहीं जो इसने कभी चखी नहीं सूरज की तरह घूम घूम कर दुनिया की सैर करता है शिव बाबा की तरह अपनी मस्ती में तांडव करता है नहीं किसी की भाषा सुनता नहीं किसी नियम से बंधता हर एक के साथ बस अपने ही तरीके से पेश आता है इस की धर्मपत्नी को ढेरों सलाम जो सचमुच में होंगी कमाल आओ मिलकर चीते को ढूंढे फिर पेश करें बधाइयों की मिसाल।

काश! इनका कोई मजदूर दिवस हो

अगरिया का नमक उत्पादन बड़ा निष्ठुर है यह रण का आंगन चाहे हो पानी बांधना या हो नमक बुहारना यह काम खूबसूरती से करती हैं गुजरात की ललना बदले में पाती हैं मर कर भी त्रासद भरी दुर्घटना धड़ तो जल जाती है पर पड़े पैरों को गाड़ना कब आयेगा इनका मजदूर दिवस सुहाना अब चाय बागानों की सुनो कहानी जो फिल्मों में दिखे रूहानी वहां महिलाएं पत्तियां तोड़ती हैं पर पत्तियां इन की अंगुलियां फोड़ती हैं आठ घंटे के खड़े काम से थककर चूर हो जाती हैं नींद के लिए सुलाई इनकी संगिनी हो जाती है काश !इनकी व्यथा सुनने कोई मजदूर दिवस आ जाये और कोई राहत इनको दे जाये नंदूरबार के मिर्ची उद्योग में दिखती हैं रंग-बिरंगी जनानीयां इनकी भी कुछ इतर नहीं‌‌ हैं कहानियां ना‌ जलन की परवाह ना‌ मिर्ची की धांस बस एलर्जी बन‌ जाती है उम्रभर इनके लिए एक फांस काश! कोई मजदूर दिवस इनके लिए भी ले जाए कोई राहत की आस।