दोस्तों बात उस समय की है जब मेरे पिताजी ऊंट से शहर जाया करते थे और सामान लाया करते थे। खेती किसानी में दिवाली का समय व्यस्ततम समय होता है। इसलिए प्राय: पिताजी दीपावली का सामान 10 दिन पहले ही ले आया करते थे उस सामान में वह मेरे लिए छोटे-छोटे पटाखों के पैकेट लाया करते थे। मैं बड़ी बेसब्री से 10 दिन तक इनके चलाने का इंतजार करता रहता था हालांकि मुझे पटाखे चलाने से डर लगता था, इसलिए पिताजी अपने हाथ में मेरा हाथ पकड़ कर पटाखे चलवाते थे ।मेरे पिताजी अपने समय के मशहूर अग्नि नर्तक रह चुके हैं और आग से खेलना इनका एक शौक था ।अब वह 78 साल के है और इस साल जून में उनके आंखों का मोतियाबिंद का ऑपरेशन करवाया था ।इसलिए यह दिवाली ऑपरेशन के बाद पहली दिवाली थी। दीपावली के दिन ऑफिस के स्टाफ के लोग पटाखों के तिल्ली लगा कर दूर भाग - भाग कर पटाखे चलते हुए उन्हे जलते देख रहे थे ।यह देख कर मेरे अंदर पुराने दिनों की नादानी फिर से प्रवेश कर गई और साथ ही मन ही मन पिताजी को उनका प्रिय शौक दिखाने का विचार आया ।अतः मैंने हाथ से पकड़ कर पटाखे चलाए इससे अचंभित होकर दिनेश शर्मा ने वीडियो बनाया और पीछे से प्रिय आर