हरि हाथ विदाई पाई वरिष्ठ चेहरों मुस्कान आई मनीष ने संचालन कर के सबके दिल की बात बताई जैनेन्द्र का गजब प्रबंधन जिसमें दिखी हर चतुराई अर्जुन और हुणता ने भावों से भागीदारी दिखाई कमलाजी का उत्साह निराला डेढ सौ किमी सफर से आई जब सजा यह गुलदस्ता मुझको नौ वर्षों की याद आई सफर हो तो ऐसा ही हो दिल मिले और आंख सरसाई बाहर देख दिल के अन्दर देखा सबका प्रतिबिंब दिया दिखाई।।