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Showing posts from December, 2021

शीत लहर का कहर

चूरू तो ठंडा भया चाले ठण्डी बाय खाओ बाजर की रोटियां लहसुन चटनी लगाय। जल्दी सिमटो बिस्तरां दिन में ही सब निपटाय जाना‌ अगर खुले में हाथ-पैर बार-२ तपाय। उगत में कोई दम नहीं छिपते डगमगाय चले है ' डांफर' निर्दयी कलेजे चुभ- चुभ जाय राखो दिन दस संभाल के ये हाड़ फिर सरसाय।।

नौकरी की तीसवीं वर्षगांठ

 अपेक्षित पद बढा, ना कद बढा सुकून बस इतना है, ना कोई मर्ज बढा दो हमदम छिन गये, दो नये मिल गये ऐ वक्त ना तेरा अब तक कोई कर्ज चढा तलाश रोटी की तब भी थी, आज भी है ये सिलसिला अब तक नहीं सिरे चढ़ा गमो का सिलसिला ना हो यदि शामिल किसने है यहां जिंदगी को ठीक से पढ़ा ला रख नया कोई सवाल आज पुराने सवालों का अब वो रूतबा‌‌ कहां।।