अपेक्षित पद बढा, ना कद बढा सुकून बस इतना है, ना कोई मर्ज बढा दो हमदम छिन गये, दो नये मिल गये ऐ वक्त ना तेरा अब तक कोई कर्ज चढा तलाश रोटी की तब भी थी, आज भी है ये सिलसिला अब तक नहीं सिरे चढ़ा गमो का सिलसिला ना हो यदि शामिल किसने है यहां जिंदगी को ठीक से पढ़ा ला रख नया कोई सवाल आज पुराने सवालों का अब वो रूतबा कहां।।