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Showing posts from June, 2019

29 जून, 29 वर्ष

जब तुम थे तो दुनियां देखकर लगता था जैसे यह तुम्हारा मुस्कुराता हुआ चेहरा दुनियां की हलचल जैसे तुम्हारे हाथों की लय पर पूर्ण होते कार्य हर पल दुनियां के आभूषण जैसे तुम्हारे प्यार का सम्मोहन दुनियां की अच्छाई जैसे तुम्हारे तन की परछाईं दुनियां की हरियाली जैसे तूने प्यार की इबारत लिख डाली दुनियां द्वारा अवहेलना जैसे तुम्हारा आंखें तरेरना और वापस गृहस्थी में डूबना यों था ना‌ कभी भान ऐसा भी आता है तूफान दुनियां की रंगत अब लगती है फीकी घाव मेरे गहरे किसी को न दिखी पर मुझे ऐसा लगता है जैसे उनमें भरी हो मिर्च तीखी बस तुम्हारे आदर्श और संस्कार झुंझलाती जिंदगी को देते हैं रफ्तार विनती हमारी प्रभु से दोनों कर जोड़ बता देना उनको हम हैं प्रसन्न चित्त वरना आज वह भी होंगीं बहुत विचलित।