जूम मीट में आ गए हैं चौरासी के गबरू।। सांसे हैं महकी सी फिजां है बहकी सी उछल कूद मचा रहे हैं जज्बातों के पखेरू।। स्वप्न सी इस संध्या में धूम मचाए वा...
चला जाता है अतीत यादों में फिर भी बना है रहता भविष्य का नहीं है पता फिर भी यह जीने नहीं देता वर्तमान है जीवन का भाग्य विधाता इसका उपयोग करना नहीं आता बिना दृढ़ निश्चय के संब...
मशीनी रिश्ते, संस्कार छूटते शिक्षा दिखती बेरोजगारी बांटते सोशल मीडिया समय खाते और नफरत उगलते प्रेस लगती बिक कर छपते खेती दिखती लुप्त होते डांस खाते 'थैक' पर गोते खेलों को ...
आज दिवस भला उगा नवरात्र का आगाज घर में ब्याई कूकरी लाई पिल्ला पांच घर गूंजा किलकारी से मैं रहा हूं पुस्तक बांच अब दिन जरूर फिरेंगे यह बात है बिल्कुल सांच।।
धरती पर रह कर जिसने भेजा चांद तारों को मिसाइलों का सलाम ऊंचे से ऊंचे पद, प्रतिष्ठा को पाकर भी जिसने हर आम और खास के हृदय में समान रूप से बनाया मुकाम जाति, धर्म और वर्ण व्यवस्थ...
सहता है जीवन उम्र भर ,बे-खबरी की खामी कब ली जायेगी,मेरे बारे में फैसलों में, मेरी हामी मोड़ दिया जब चाहा, मेरा जीवन हर मोड़ पर हर तरफ संदेह के घेरे अनचाहे मिले मन को तरसाती रही ल...
लुइस ग्लुक ! लुइस ग्लुक ! कवियों के दिलों में तुने आज जगा दी नई कुहुक आशा है कविता में आपके नोबल से कवियों की सोच को अब मिलेगा नया रुख दुनिया होगी काव्य में और ज्यादा मशरूफ कवि ...