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खोफ इतना भी ना हो

खोफ इतना भी ना हो सच्चाई ना कह सकें। जंगल में भी भागने का मौका मिलता है इन्सानों की बंदिशें कितनी तंग हैं साथ रहते- रहते भी लोग असंग हैं। अब यह व्यापार हो गया है मैं बोलूं , वही तू बोले तेरे पीछे नहीं तो पड़े मेरे मलंग हैं। खाने की बात पर मच रहा हुड़दंग है कोशिश नहीं कर सकते जानने की खुद हुड़दंगी कितने बदरंग हैं। लिखने वाले भी अब तो बच रहे सीधी सपाट से शायद वो भी कहीं ना कहीं पंचरंग हैं। किताबें भी अब हैं फैंसी किंडल पर पढ़ें तो ज्ञानी हैं नहीं तो तुझमें कहां उमंग है। पहनावा बदनाम हो गया जैसे त्यौहार होली, लार खुद के टपके बदनाम हो रही भंग‌ है। रिश्तों की क्या बात करें साथ बैठना छुटा, मोबाइल का है संग देखते ही देखते रिश्तों को लगी जंग‌ है। टिटनेस इसका फैलेगा जिसका नहीं इंजेक्शन बातों में अब नहीं लगता किसी का मन इसीलिए मिडिया ने घड़ा शब्द कंजेशन है। खोफ इतना भी ना हो सच्चाई ना कह सकें सोचना तो पड़ता है ताकि दुविधा में भी जी सकें।।
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महिला दिवस

कवि का भाव सौंदर्य की मिसाल  करूणामय। ममत्व मूर्त  संघर्ष की सूरत सुलहमय। मिले तो धीर बिगड़े शमशीर तेज तासीर। घर की धूरी  हर जगह पूरी रखे सबूरी।  झुके यम भी  जब बने सावित्री निभाये मैत्री। बाहर जीत अपनों से हारती नारी भारती। बदला वक्त  बन रही सशक्त  बेड़ी हैं मुक्त। स्वच्छ फिजा में  स्वेच्छा से हों फैसले  दिशा बदले। # अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 

दाल-बाटी चूरमा

भानीपुरा में खाता था जिनके हाथ की बनी दाल-बाटी चूरमा लगता था जी रहा हूं जयपुर में कल मिले जब जयपुर में लगा चमक है गुलाबी शहर की फिजाओं में दाल-बाटी चूरमा तो छूट गया गांवों में।।

कवि का कारवां

यह कुछ ऐसा ही ‌है  जैसे घी तोलते  घी पी लेते हैं हाथ साथ रहते - रहते बन जाती है बात।  जैसे पतझड़ में अनयास  पतों की बरसात बरसात में भीगकर आती गर्माहट की बात।  जैसे अंधेरे में रहते अनपढ़ के उद्गार अक्षर के प्रकाश से  खोल देते नये द्वार।। हां यह कुछ ऐसा ही ‌है  जैसे पढ़ते - पढ़ते कोई किताब याद आती लेखक की बात बात से ही निकलती बात पूछ बैठते खुद से ही औकात।  यह कुछ ऐसा ही ‌है  जब पढ़ते हैं हम कोई तहरीर  खुद को भी देखते हैं उस जहां  करने लगते हैं खुद से बातें  शायद यही है कवि का कारवां।।

Actions

Our action is reciprocated By an nonspeaking child By a book we read By a stone we worship By everything of this world Be true to our actions  

जो कोशिश करता मंजिल पाता

KBC के श्रोताओं में से जिसे नाम से जानते बासठ प्रतिशत  मेरा फोटो उसके साथ वाह! कितनी गजब है बात। चोबीस में थोड़ी हुई मुलाकात  पच्चीस के शुरू में छा गया तात कुछ लोग रूपये की करते बात असली सोना तो है औकात। सदा सरल और सादगी को हमेशा रखता अपने साथ ब्यूरोक्रेसी से ज्यादा गणित पर आज भी आजमाता हाथ। शेर-ओ-शायरी और गजल टूट पड़े जो मिले पजल(Puzzle) रहता मिलकर सबके साथ  नखरे वालों से तंग है हाथ।।

कमसिन

यह तेरा दिल,यह मेरा दिल यह दिल बहुत हसीन है उम्र के तराजू मत तोलना प्यार हमेशा कमसिन है।