Skip to main content

Posts

Tech Gen

RSEB और कष्ट अभियंता

कुछ लोग कड़वी यादें देकर सीखा जाते हैं तो कुछ मीठास के साथ सीखा जाते हैं। चूंकि मानव स्वभाव मीठास को लालायित रहता है। इसलिए हमें वही बातें याद‌ रहती हैं जो हमें किसी ने प्रेम से सीखायी होती हैं।       लूणकरणसर के बाबूलालजी नौलखा ऐसे ही व्यक्ति हैं जिनसे मैंने विभागों में ठेकेदारों की भूमिका की ए, बी, सी, डी सीखी थी। वह बात, काम और वक्त के पक्के थे। आने वाले और जाने वाले हर आदमी का एक समान आदर करना उनके व्यवहार में शामिल था। N.H.15 पर उनकी दुकान पर हर आदमी को विश्राम मिलता था और सामान आदि रखने की व्यवस्था मौजूद थी। शीतल जल पिलाकर 100 ग्राम गर्म पकोड़े और चाय हर कैडर के लिए उपलब्ध रहती थी। शाम को घंटों कार्य की चर्चा और दिन भर की कोई कठिनाई हो तो उसका समाधान यथा संभव निकाल लिया जाता था। शहरी और देहात दोनों क्षेत्रों की उनके पास कुंडली थी। हर एस्टीमेट के फोर्मेट भी मिल जाते थे। उन दिनों एक फोर्मेट के नीचे तीन कार्बन लगाकर एस्टीमेट बनाने पड़ते थे और गांवों में रुककर एस्टीमेट लाने, लाईन फाल्ट निकालने पड़ते थे इसलिए कनिष्ठ अभियंता को उन्होंने कष्ट अभियंता नाम दे रखा था😀। ...
Recent posts

मरवण का खिताब

कला छूती हृदय को विज्ञान मस्तिष्क के नाम जब हो हृदय बैठना कला साधे काम।।  सिद्ध गायकी करते आये कर अग्नि प्रणाम धर्म का ध्वज लिए घूमे चौखण्ड धाम।।  जीवत समाधियां लेकर रखा धर्म का मान फिर भी छुपे रहे जैसे पहेली गुमनाम।।  कोमल सिद्ध ने जब जीता मरवण का खिताब राजस्थानी संस्कृति  का दुनिया में बढ़ा रूवाब ना धर्म ध्वज ,ना चौखण्ड फेरी फिर भी दुनिया पहुंची आवाज।।

ये मिट्टी

मिट्टी मां से भी बढ़कर है क्योंकि मां मिट्टी से बनी‌ है।।  - Mohan Sardarshahari

यंग बोयज

यंग बोयज के चार साल बेमिसाल बेमिसाल।  कभी क्रिकेट का उबाल कभी ग्लेमर का धमाल कभी संगीत की सुर लहरी कभी यादों की टीस गहरी      हर अंदाज रहा कमाल      चार साल बेमिसाल  कभी बातें पैग पटियालवी फिर अंदाजे बयां लखनवी गजलों का फिर सिलसिला सुनकर जब दिल खिला        दिल की बातें चली रेक की चाल        चार साल बेमिसाल  कभी सैर - सपाटों की बातें उस पर खाने की सोगातें मिलकर जहां भी बैठें हों रेक की बातों के खिले गुलदस्ते        रंगो ओ सुंगध छूटा रेक के नाल         फिर भी चार साल बेमिसाल  जब जब राजनीति ने दस्तक दी यंग बोयज दुविधा में दिखी राजनीति द्विधारी तलवार इससे यंग बोयज को लेना उबार      खाना हो तो गुड़ खाओ बाकी सब बेकार माल      यंग बोयज है एक चोपाल       जिसके चार साल बेमिसाल।।

आजादी के पिचहतर

स्वतंत्रता के पिचहतर वर्ष हमने मनाये अनेकों हर्ष शिक्षा, स्वास्थ्य, प्रतिरक्षा और बुनियादी ढांचा हुआ उत्कर्ष लड़कियों को अवसर मिला तो सम्मान देश का फहुंचाया अर्श करें प्रतिज्ञा इस पिचहतर बची रूढ़ियां और आडम्बर शतक होने पर ला देंगे फर्श।।

खुशियों की बीमा

आज फिर थोड़ा इतरा लेता हूं यह इतराने का दिन है जिस दिन बेटी पैदा होती‌ है उस दिन से  जीवन‌ में  खुशियों की "बीमा‌" हो जाती है।।

‌ प्रताप जयंती

वीरों का जब-जब बखान होगा महाराणा का सिरमौर नाम होगा पवित्र धरती का जब जिक्र होगा हल्दी घाटी का मन में चित्र होगा स्वामी भक्ति का चित्रांकन होगा  तो चेतक का गर्व से स्मरण होगा राजस्थान की शान की बात होगी तब - तब हल्दी घाटी, चेतक और  महाराणा प्रताप के नाम की हर राजस्थानी की आंखों में चमक होगी।। जय मेवाड़, जय राजस्थान